tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post130403423981672266..comments2023-10-31T11:05:43.618+00:00Comments on महावीर: कराची से डॉ. ग़ुलाम मुर्तज़ा शरीफ़ की दो कवितायेंमहावीरhttp://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-30466111385517245762009-07-23T10:15:37.539+01:002009-07-23T10:15:37.539+01:00हिंदी के श्लिष्ट शब्दों का इतना सुन्दर प्रयोग ,पता...हिंदी के श्लिष्ट शब्दों का इतना सुन्दर प्रयोग ,पता नहीं इससे पहले कब पढ़ा था....बस मन मुग्ध होकर रह गया....<br /><br />रचना " अनुराग " तो न जाने कितनी बार पढ़ा ,पर मन न भर रहा है........आपकी लेखनी को शत शत नमन....<br /><br />वर्तमान में जब हिंदी ही तिरस्कृत है,ऐसे में ऐसे सुसंस्कृत हिंदी शब्द अपार सुख दे जाते हैं.......<br /><br />कृपया अधि से अधिक ऐसे उत्कृष्ट रचनाओं की रचना कर हिन्दी साहित्य को समृद्धि प्रदान करते रहें.....<br /><br />मेरी हार्दिक शुभकामनाये आपके साथ हैं....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-31919700721151094562009-07-20T22:27:55.450+01:002009-07-20T22:27:55.450+01:00DR. saheb
aapki rachnaon se mere Sindh ki mehek b...DR. saheb<br /><br />aapki rachnaon se mere Sindh ki mehek bhi aa rahi hai, shabdon ko pirone ka fan jaandaar hai<br /><br />sadar<br />Devi NangraniDevi nangranihttp://charagedil.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-90094188245620448042009-07-18T18:20:34.061+01:002009-07-18T18:20:34.061+01:00आदरणीय डा. शरीफ़ जी
आपकी सुन्दर रचनाओं के लिए हम ...आदरणीय डा. शरीफ़ जी <br />आपकी सुन्दर रचनाओं के लिए हम आभारी हैं. आपकी रचनाओं से केवल आनंद ही नहीं,<br />कुछ सीखने को भी मिलता है. 'अनुराग' और 'मजबूरी' दोनों ही रचनाएँ सहेजने के योग्य हैं.<br />आपका हार्दिक धन्यवाद. <br />इसी के साथ टिप्पणीकारों और अन्य पाठकों का भी हम हार्दिक धन्यवाद करते हैं.<br />'महावीर' सम्पादक मंडलमहावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-52996150347696652022009-07-16T17:27:07.870+01:002009-07-16T17:27:07.870+01:00Meri kavita ko pasand karney ka dhanyawad.
WAMNA...Meri kavita ko pasand karney ka dhanyawad. <br /><br />WAMNA = Apsara (Sundar pari ka nam)<br />KAMNA = Abhilasha (Khwahish)<br />PURODHIKA= NEK AURAT (Sushil Nari).<br /><br />Chakor Chandrama ko dekhkar usey pakdney ke liye uchchalta hai, keunki <br />usey chandrama se prem hai..yehi uski majboori hai.<br />Dr. Shareef, gms_checkmate@yahoo.comDr. Ghulam Murtaza Shareefhttps://www.blogger.com/profile/09500573632433302292noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-37031056440661798782009-07-15T14:01:08.400+01:002009-07-15T14:01:08.400+01:00डॉ. ग़ुलाम मुर्तज़ा शरीफ़ जी दोनों ही रचनाएँ बहुत स...डॉ. ग़ुलाम मुर्तज़ा शरीफ़ जी दोनों ही रचनाएँ बहुत सुन्दर.<br />बधाई!Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-57382080119948548252009-07-15T07:07:36.251+01:002009-07-15T07:07:36.251+01:00दोनो ही कविताएं उत्तमता का अद्भुत उदाहरण हैं। मजबू...दोनो ही कविताएं उत्तमता का अद्भुत उदाहरण हैं। मजबूरी कविता में ना कह कर भी जो कवि ने कहा है, वही गूढ़ता इस कविता की विशेषता है।<br /><br />अनुराग भी उत्तम कृपया वामना एवं पुरिधिका का अर्थ भी बता दें।कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-42776274753551506142009-07-15T02:20:45.910+01:002009-07-15T02:20:45.910+01:00niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-28587418110113778302009-07-14T09:03:31.982+01:002009-07-14T09:03:31.982+01:00दोनों कवितायेँ पसंद आयीं, 'अनुराग' कुछ ज्य...दोनों कवितायेँ पसंद आयीं, 'अनुराग' कुछ ज्यादा ही ! बधाई स्वीकारें !<br /><br />अनुराग - <br />वामना की "कमाना" में ... शायद टाइपिंग में गलती है <br />यह पंक्तियाँ बेहद पसंद आई -><br />वदतोव्याघात करते हो,<br />वाग्दंड देते हो,<br />दावा है पुरुषश्रेष्ट का,<br />कैसा निभाया साथ!!<br />क्या यही है अनुराग!!<br /><br />मजबूरी - <br />मुझे इस कविता के भाव बहुत अच्छे लगे, बस इतना लगा के अभिव्यक्ति बेहतर हो सकती थी | जितने गहरे भाव हैं उनके मुकाबले अभिव्यक्ति ज़रा कम असरदार लग रही है | उदाहरण के लिए - यहाँ चकोर कि क्या मजबूरी है यह स्पष्ट नहीं है .. <br />रोक सको तो चारुचंद्र की<br />चंचल किरणों को रोको,<br />चकोर का इसमें दोष ही क्या<br />यह है उसकी मजबूरी<br /><br />प्रणाम<br />RCPritishihttps://www.blogger.com/profile/18027391149451748413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-16421755926456586302009-07-14T06:29:02.336+01:002009-07-14T06:29:02.336+01:00हैँ मुर्तज़ा शरीफ की कविताऐं ला जवाब
करती हैँ जो र...हैँ मुर्तज़ा शरीफ की कविताऐं ला जवाब<br />करती हैँ जो रुमूज़-ए-हक़ायक़ को बे नेक़ाब<br /><br />हिंदी ज़ुबाँ पे उनको मुकम्मल उबूर है<br />अहमद अली ख़ुदा करे पूरे होँ उनके ख्वाब<br /><br />डा.अहमद अली बर्क़ी आज़मीAhmad Ali Barqi Azmihttps://www.blogger.com/profile/11228201715441418433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-76412448710472391892009-07-14T05:41:03.795+01:002009-07-14T05:41:03.795+01:00बेहद खूबसूरत शब्दों से जडी दोनों कवितायेँ अद्भुत ह...बेहद खूबसूरत शब्दों से जडी दोनों कवितायेँ अद्भुत हैं...ऐसा विलक्षण लेखन बहुत कम पढने को मिलता है...आपका कोटिश धन्यवाद जो हम पाठकों को ये अवसर प्रदान किया.<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-25667330536628320242009-07-14T04:33:44.325+01:002009-07-14T04:33:44.325+01:00टंकण की त्रुटियाँ कृपया सुधर दें तो रस ग्रहण करने ...टंकण की त्रुटियाँ कृपया सुधर दें तो रस ग्रहण करने में बाधा न होगी. <br /><br />प्रथम रचना की ३ पंक्तियाँ 'वामना की कमाना में<br />पुरिधिका का त्याग, क्या यही है अनुराग!' क्या<br /> ''वासना की कामना में परिणीता का त्याग'' हैं?<br /><br />अलंकारों की मन-मोहक छटा सर्वत्र दृष्टव्य है. ये रचनाएं पहले मिल गयी होतीं तो 'sahityashilpi' पर प्रकाशित हो रही लेखमाला 'हिंदी गीति काव्य का रचना शास्त्र' में अलंकारों के उदाहरण देते समय उद्धृत करता. <br /><br />डा. ग़ुलाम मुर्तज़ा शरीफ़ साहब दोहे भी लिखते हैं क्या? यदि हाँ, तो निवेदन है की दोहे भी हम तक पहुँचायें. 'hindyugm' par 'दोहा, गाथा सनातन' में देना चाहूँगा. <br /><br />दोनों रचनाएँ पढ़कर दिल बाग़-बाग़ हो गया. साधुवाद. शरीफ साहब उक्त दोनों लेखमालाएं देखकर अपना अभिमत दें, यह गुजारिश है. 'divyanarmada.blogspot.com' पर भी स्वागत है. उनके जन्मस्थली नर्मदा घाटी में ही है. <br /><br />वरिष्ठ नर्मदापुत्र का इस कनिष्ठ नर्मदा पुत्र द्वारा सादर वंदन.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-24088995763173975122009-07-14T04:27:42.963+01:002009-07-14T04:27:42.963+01:00कविताओं मे शब्द संरचना बेजोड है मुझे इनका अर्थ डिक...कविताओं मे शब्द संरचना बेजोड है मुझे इनका अर्थ डिक्श्नरी मे खोजना पडा वदतोव्याघात करते हो,<br />वाग्दंड देते हो,<br />रोक सको तो चारुचंद्र की<br />चंचल किरणों को रोको,<br />चकोर का इसमें दोष ही क्या<br />यह है उसकी मजबूरी<br />अगर मैं अल्पग्य डा गुलाम् मुर्तज़ा जी की कविताओं पर निश्ब्द रह कर अपनी रूह तक उनका आनन्द महसूस करती रहूँ तो बेहतर होगा लाजवाब प्रस्तुती के लिये धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-36948340598216804902009-07-13T20:14:38.160+01:002009-07-13T20:14:38.160+01:00Dr. GULAAM MURTAZA SHAREEF KEE DONO
RACHNAAYEN KHO...Dr. GULAAM MURTAZA SHAREEF KEE DONO<br />RACHNAAYEN KHOBSOORAT HAIN.YE <br />PANKTIYAN TO MUN MEIN UTAR GAYEE<br />HAIN-<br /> ROK SAKO TO PHOOLON KEE<br /> MAADAKTAA KO ROKO<br /> MADHUKAR KAA MUN RIJHAANAA <br /> YAH HAI USKEE MAJBOOREEPRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-44865538269371335982009-07-13T19:14:27.076+01:002009-07-13T19:14:27.076+01:00चारुचंद्र की चारुता,
मधुबाला की मादकता,
मधुमती की ...चारुचंद्र की चारुता,<br />मधुबाला की मादकता,<br />मधुमती की चपलता,<br />तजकर सब का प्यार,<br />क्यों लेते हो वैराग!!<br />क्या यही है अनुराग!!<br />:)<br />प्रश्न सुँदर और दोनोँ ही रचनाएँ अति सुँदर !<br /><br />डा. ग़ुलाम मुर्तज़ा शरीफ़ साहब<br /> व आपको <br />मेरे<br /> स स्नेह नमस्ते व आदाब <br /><br />विनीत<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-90286463666693382112009-07-13T19:09:36.610+01:002009-07-13T19:09:36.610+01:00सुन्दर अति सुन्दर
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श्री युक्तेश्वर गिरि के चार ...सुन्दर अति सुन्दर<br />---<br /><a href="http://www.charchaa.org/2009/prehistoric/yukteshwar.html" rel="follow" rel="nofollow">श्री युक्तेश्वर गिरि के चार युग</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-80272062098242848382009-07-13T10:28:05.109+01:002009-07-13T10:28:05.109+01:00तय कर चुका था अब न पिऊँगा कभी मगर
जैसे ही दिन ढला ...तय कर चुका था अब न पिऊँगा कभी मगर<br />जैसे ही दिन ढला तो मुझे सोचना पड़ा<br /><br />ग़लत नहीं मुझे मरने का मशविरा उसका<br />वो मेरा दर्द समझता है क्या किया जाए<br /><br />दोनों ही lajawaab हैं.......... sher इतने मस्त हैं की अपने आप bah रहे हो जैसे..........आपका भी शुक्रिया जो आपने इन से milwaaya............दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-10564120764820405692009-07-13T07:40:56.247+01:002009-07-13T07:40:56.247+01:00वाह सुन्दर शब्द जैसे खरे मोती !! लाजवाब !!वाह सुन्दर शब्द जैसे खरे मोती !! लाजवाब !!Murari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.com