tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post307292861350763200..comments2023-10-31T11:05:43.618+00:00Comments on महावीर: पुरानी यादें - प्राण शर्मा की दो ग़ज़लेंमहावीरhttp://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-65726109424832777012009-05-18T19:32:00.000+01:002009-05-18T19:32:00.000+01:00Pran ji
sadar naman
aapki gazal ka har sher ek sa...Pran ji<br />sadar naman<br /><br />aapki gazal ka har sher ek sandesh deta hai jo tajurbon ki Zubaan bhi hai<br /><br />ख़ामोशियां भी चाहिए कुछ तो कभी कभी<br />सीखा हूं एक बात ये भी ज़िन्दगी से मैं<br /><br />shayad shor mein hun unki mangon ko ansuna kar dete hai<br /><br />aapko nazar chand alfaz<br /><br />kahnosian bhi dard se devi pukarteeN<br />humsa naseeb ka koi mara nahin mila<br /><br />saadar<br />Devi NagraniDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-27481517954852640642009-04-01T15:09:00.000+01:002009-04-01T15:09:00.000+01:00उस माँ की खुशदिली का ठिकाना न पूछिएजिस माँ के बाल-...उस माँ की खुशदिली का ठिकाना न पूछिए<BR/>जिस माँ के बाल-बच्चे सभी खुशनसीब हैं........ वाह<BR/><BR/>महफूज़ हैं वे प्राण ख़बर तुझ को भी तो हो<BR/>सारे मकाँ जो तेरे मकाँ के क़रीब हैं....बहुत खूब <BR/><BR/>पहली गज़ल कुछ इतनी लय में लगी के पढ़ते पढ़ते पढ़ते लगा कुछ सुन रही ।<BR/>हर शेर अच्छा लगा ।<BR/><BR/>और दुसरी गज़ल भी लजावाब हमेशा की तरह <BR/><BR/>आदरणीय महावीर सर को बहुत बहुत धन्येवाद <BR/>जिनके ब्लोग पर हमेशा अच्छा पढ़ने को मिलता हैं <BR/><BR/><BR/>सादर <BR/>हेम ज्योत्स्नाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-48937605430214653722009-03-25T07:44:00.000+00:002009-03-25T07:44:00.000+00:00बहुत सुन्दर अभिव्यक्तियाँ...लाजवाब !!_____________...बहुत सुन्दर अभिव्यक्तियाँ...लाजवाब !!<BR/>__________________________________<BR/>गणेश शंकर ‘विद्यार्थी‘ की पुण्य तिथि पर मेरा आलेख ''शब्द सृजन की ओर'' पर पढें - गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ का अद्भुत ‘प्रताप’ , और अपनी राय से अवगत कराएँ !!KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-79674861805899379292009-03-23T19:29:00.000+00:002009-03-23T19:29:00.000+00:00प्राण शर्मा जी ने इन दो ग़ज़लों में बसी हुई ५१ वर्...प्राण शर्मा जी ने इन दो ग़ज़लों में बसी हुई ५१ वर्ष की पुरानी यादें इस ब्लाग पर प्रकाशित <BR/>करने की अनुमति दी है जिसके लिए मैं आभारी हूं। इतनी पुरानी ग़ज़लों में ग़ज़लियत की <BR/>ख़ूबसूरती देख कर यह भी महसूस होता है कि प्राण जी में यह रचनात्मक गुण जन्मजात है। एक ज़माना था कि उर्दू की ग़ज़लों को पढ़ने के लिए लुग़ात (उर्दू शब्द कोश) की ज़रूरत पड़ती थी। देखा जाए तो प्राण जी को इसका श्रेय है कि ग़ज़ल की भाषा की क्लिष्टता से हट कर <BR/>ग़ज़ल को सर्व साधारण जन के लिए सुलभ कर दी। <BR/>एक बार फिर प्राण जी को हार्दिक बधाई देता हूं।<BR/>आप सभी लोगों को भी इस ब्लाग पर रचनाएं पढ़ने और टिप्पणियां लिखने के लिए अपना अमूल्य समय देने के लिए आभार।<BR/><BR/>एक विनती है कि टिप्पणी देते हुए Anonymous identity का प्रयोग ना करें।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-26302172678328882352009-03-23T00:50:00.000+00:002009-03-23T00:50:00.000+00:00प्राण शर्मा जी आपका ग़ज़लें पढ़ी सभी ने तारीफ़ की मे...प्राण शर्मा जी आपका ग़ज़लें पढ़ी सभी ने तारीफ़ की मेरी तो हिम्मत ही नहीं पड़ रही इससे भी हटकर क्या कहूँ?Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-1245194357478933742009-03-22T03:42:00.000+00:002009-03-22T03:42:00.000+00:00ख़ामोशियां भी चाहिए कुछ तो कभी कभीसीखा हूं एक बात ...ख़ामोशियां भी चाहिए कुछ तो कभी कभी<BR/>सीखा हूं एक बात ये भी ज़िन्दगी से मैं<BR/><BR/><BR/>अच्छी तरह पता है मुझे प्यार की गली<BR/>गुज़रा था एक बार कभी इस गली से मैं<BR/><BR/>Pran ji,<BR/><BR/> Aadab. sare diggaj to pehle hi pahuch gaye hain tarif ke liye ab mai kya kahun....?? <BR/><BR/> Bas itana hi kahti hun lajwab kar diya aapne...bhot khoob...!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-88915778272806729392009-03-21T17:25:00.000+00:002009-03-21T17:25:00.000+00:00इतनी पुरानी गज़ल......और उस पर कुछ कहना उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...इतनी पुरानी गज़ल......और उस पर कुछ कहना उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ !<BR/>ये हमारा सौभाग्य है और सम्मान की बत है कि प्राण जी हम जैसे अदनों को भी समय देते हैं और महावीर जी का शुक्रिया कैसे अदा हो कि वो इतनी दुर्लभ रचनायें हमें पढ़वाते हैं..<BR/>"ख़ामोशियां भी चाहिए ..." वाला शेर और "वे दोस्त, मेरे दोस्त ज़रूरी " वाला खूब भाया है।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-37161681663860697472009-03-21T10:43:00.000+00:002009-03-21T10:43:00.000+00:00priya bhai pran jee aapki gajlen padin man ko vaka...priya bhai pran jee aapki gajlen padin man ko vakai chhuti hain aapne 1958 men bhi bahut aachhi gajlen kahin hain inhen padna kaphi sukhad laga mein aapko in achhi gajlon ke liye badhai deta hoon<BR/><BR/> ashok andreyashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-33976775220344604202009-03-21T08:49:00.000+00:002009-03-21T08:49:00.000+00:00aadarniya mahaveer ji aur pran ji , namaskar ..pra...aadarniya mahaveer ji aur pran ji , namaskar ..<BR/><BR/>pran ji ki kshamta ko dekhkar main hairaan hoon . wo wakai me guruwar hai ..wah ji wah ..main sochta tha ki initial phase of writing me log utna gahara likh nahi paate hai .lekin pran ji ki rachna ne ye baat jhoot sabit kar di..<BR/><BR/>pran ji ko bahut badhai ..<BR/>aur aapko bhi bahut badhai mahaveer ji , jab bhi aap ke blog par aata hoon ,kuch naya aur behatreen milta hai .. in fact this is single place ,where i can gind everything..<BR/><BR/>aapko dil se abhinandan ..<BR/><BR/>aapka <BR/>vijayvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-36295399608395016172009-03-20T15:34:00.000+00:002009-03-20T15:34:00.000+00:00क्या बात है.. दादा.. वाह..... मैं तो पैदा ही १९६३ ...क्या बात है.. दादा.. वाह..... मैं तो पैदा ही १९६३ में हुआ. जहां तक स्मरण है ग़ज़ल से पहला परिचय १९८१-८२ में हुआ. इस लायक कि जब किसी ने दाद दी शायद १९९४-९५ से.... आज जैसा-कैसा भी हूं लेकिन यह सोच कर अभिभूत हूं कि आपका रचनात्मक स्तर १९५८ में ऐसा था. वाह.... दादा.. वाह.... कोटिशः प्रणाम.....योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-11751168468086819522009-03-20T15:16:00.000+00:002009-03-20T15:16:00.000+00:00आदरणीय प्राण साहब,बर्षों से शब्द मेरी भावनाओं की अ...आदरणीय प्राण साहब,<BR/>बर्षों से शब्द मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति रहें हैं ऐसा लगता है जैसे वे स्वयं मुझे रास्ता दिखातें हैं <BR/>पर आज आप की ग़ज़लें पढ़ कर वे भी खामोश हो गए हैं --अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए मुझे उन्हें ढूँढना पड़ रहा है --वाह साहब --आप की ग़ज़लें कालजई है --१९५८ में लिखी गईं संवेदनाएं आस पास बिखरी महसूस हो रहीं हैं--<BR/>उपदेशकों की बात को मानूं तो किस तरह<BR/>संबंध तोड़ सकता नहीं ज़िन्दगी से मैं<BR/>और <BR/>वे दोस्त, मेरे दोस्त ज़रूरी तो ये नहीं<BR/>तेरे क़रीब भी हों जो मेरे क़रीब हैं<BR/>भाषा के आडम्बर , अलंकारों के जाल बिना , सरल सादा शब्दों का समन्वय कर उत्तम बात कह दी है जो आप की विशेषता है. दोनों ग़ज़लें बहुत पसंद आई. आप से हर बार कुछ सीखती हूँ --आभारी हूँ .<BR/>सुधाDr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-30567556114368360692009-03-20T13:30:00.000+00:002009-03-20T13:30:00.000+00:00आदरणीय प्राण जी,आपकी इन गजलों से गुजरते हुए महसूस ...आदरणीय प्राण जी,आपकी इन गजलों से गुजरते हुए महसूस हुआ कि आपने जीवन को बहुत शुरू से ही और बहुत शिद्दत से देखा-जिया है। गहरे अहसासों की सहजता ग़ौरतलब है…<BR/>आभारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-53674277549358336942009-03-20T12:30:00.000+00:002009-03-20T12:30:00.000+00:00बहुत बढ़िया गजल आपने पेश किया है । गजल का हर मक्ता...बहुत बढ़िया गजल आपने पेश किया है । गजल का हर मक्ता लाजबाब है...पेस्ट करने के लिए शुक्रियाkumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-27771479280022542082009-03-20T04:50:00.000+00:002009-03-20T04:50:00.000+00:00ख़ामोशियां भी चाहिए कुछ तो कभी कभीसीखा हूं एक बात ...ख़ामोशियां भी चाहिए कुछ तो कभी कभी<BR/>सीखा हूं एक बात ये भी ज़िन्दगी से मैं<BR/>और <BR/>वे दोस्त, मेरे दोस्त ज़रूरी तो ये नहीं<BR/>तेरे क़रीब भी हों जो मेरे क़रीब हैं<BR/><BR/>सुभान अल्लाह...बरसों पहले इतनी सादा ज़बान में इतने खूबसूरत शेर कहना किसी अजूबे से कम नहीं...ये वो दौर था जब ग़ज़ल के बड़े बड़े सूरमा अखाडे में थे और उर्दू ज़बान पर फ़ारसी हावी थी,...उन सब के बीच अपनी अलग पहचान बना कर और हिंदी के शब्दों की चाशनी मिला कर ऐसे नायाब शेर कहना बहुत बड़ी बात है...इसी से पता चलता है की आदरणीय प्राण साहेब किस पाए के शायर हैं...इश्वर से हम हमेशा ये ही दुआ करते हैं की वो हमेशा स्वस्थ और खुश रहें और हमें यूँ ही अपने फ़न से सराबोर करते रहें...<BR/>प्राण साहेब की शायरी हमारी गंगा जमनी तहजीब का जीता जागता नमूना है.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-14661655669023470102009-03-19T17:43:00.000+00:002009-03-19T17:43:00.000+00:00प्राण साहब की हर ग़ज़ल पढ़ने को मन करता है। ये दोनों ...प्राण साहब की हर ग़ज़ल पढ़ने को मन करता है। ये दोनों ग़ज़लें भी खूब कही हैं प्राण जी ने। अपने आरंभिक दिनों में वह इतने अच्छे अशआर कह रहे थे, जानकर हैरत होती है। लगता है जैसे ग़ज़ल को जीया है प्राण जी ने, तभी तो ग़ज़ल पर इतनी गहराई से बात करते हैं और बहुत उम्दा ग़ज़लें कहते हैं। मेरी शुभकामनाएं !सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-19601345557125638702009-03-19T17:34:00.000+00:002009-03-19T17:34:00.000+00:00जब प्राण जी के ग़ज़ल संसार में झाँकता हूँ तो अपनी रच...जब प्राण जी के ग़ज़ल संसार में झाँकता हूँ तो अपनी रचनाओं को कहीं दूर-दूर तक भी खड़ा नहीं पाता वाह वाह महावीर जी प्राण जी की ये ग़ज़लें पढ़कर फिर से मन उल्लास से भर गया।Prakash Badalhttps://www.blogger.com/profile/04530642353450506019noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-87383414095463212922009-03-19T13:45:00.000+00:002009-03-19T13:45:00.000+00:00बहुत शुभकामनाएं ापको.रामराम.बहुत शुभकामनाएं ापको.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-56838371333405329142009-03-19T13:29:00.000+00:002009-03-19T13:29:00.000+00:00updeshakon ki baat ko maanu to kis tarah sambandh ...updeshakon ki baat ko maanu to kis tarah sambandh tod sakta nahi jindagi se main bahut hi lajavab abhivyakti hai dono gazalen bahut badiya hain badhaiनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-10841246569879066992009-03-19T08:20:00.000+00:002009-03-19T08:20:00.000+00:00बहुत ख़ूब.गुज़रा था एक बार कभी इस गली से मैंऔर यह भी...बहुत ख़ूब<BR/>.<BR/><BR/>गुज़रा था एक बार कभी इस गली से मैं<BR/>और यह भी कम नहीं<BR/>, वाह-वाह<BR/><BR/>ख़ामोशियां भी चाहिए कुछ तो कभी कभी<BR/>सीखा हूं एक बात ये भी ज़िन्दगी से मैं...<BR/><BR/>बहुत-बहुत बधाई.<BR/><BR/>सादर<BR/><BR/>द्विजद्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-23278788770221608172009-03-19T08:14:00.000+00:002009-03-19T08:14:00.000+00:00मज़हब के नाम पर दिलों से सब क़रीब हैंमेरी गली के लो...मज़हब के नाम पर दिलों से सब क़रीब हैं<BR/>मेरी गली के लोग भी कितने अजीब हैं<BR/>Bahut sunder <BR/><BR/>वे दोस्त, मेरे दोस्त ज़रूरी तो ये नहीं<BR/>तेरे क़रीब भी हों जो मेरे क़रीब हैं<BR/><BR/>kya baat kah di Guru ji<BR/><BR/><BR/>उस माँ की खुशदिली का ठिकाना न पूछिए<BR/>जिस माँ के बाल-बच्चे सभी खुशनसीब हैं<BR/><BR/>sach bahut sach<BR/><BR/>bahut sunder gazal aapki itni purani gazal padh kar man ko bahut khushi hui<BR/>aage bhi aapko padhne ka intezaar rahegaश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-24427525767530101202009-03-19T08:10:00.000+00:002009-03-19T08:10:00.000+00:00जीता हूं मेरे दोस्त अब किस बेदिली से मैंकरता हूं इ...जीता हूं मेरे दोस्त अब किस बेदिली से मैं<BR/>करता हूं इसका ज़िक्र नहीं हर किसी से मैं<BR/><BR/>hmm bedili ka zikr kaha kiya jata hai<BR/><BR/><BR/><BR/>ख़ामोशियां भी चाहिए कुछ तो कभी कभी<BR/>सीखा हूं एक बात ये भी ज़िन्दगी से मैं<BR/><BR/>haan bahut sach bahut sach ............<BR/><BR/><BR/><BR/>अच्छी तरह पता है मुझे प्यार की गली<BR/>गुज़रा था एक बार कभी इस गली से मैं<BR/><BR/>kya baat kahi hai bina guzre kaise dard ka ehsaas hoga<BR/><BR/><BR/><BR/><BR/>मैंने सुना है आपको कलियों से प्यार है<BR/>लो आपको मनाता हूं दिल की कली से मैं<BR/><BR/>wah<BR/><BR/><BR/><BR/><BR/><BR/>उपदेशकों की बात को मानूं तो किस तरह<BR/>संबंध तोड़ सकता नहीं ज़िन्दगी से मैं<BR/><BR/>kamaal kaha hai<BR/><BR/><BR/><BR/><BR/>इतना भी प्यार मुझ पे न बरसा घड़ी घड़ी<BR/>चुंधिया न जाऊं इसकी कहीं रोशनी से मैं<BR/><BR/>sach pyaar agar mile to yqeen kaha hota hai<BR/><BR/>aapki ye gazal ka ek ek sher bahut abhut pasand aayaश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-31811337792445758502009-03-19T08:00:00.000+00:002009-03-19T08:00:00.000+00:00दोनों गज़लों में कुछ ख़ास है,कुछ बात है....प्राण श...दोनों गज़लों में कुछ ख़ास है,कुछ बात है....<BR/>प्राण शर्मा जी को शुभकामनायेंरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-1730033201846608632009-03-19T06:52:00.000+00:002009-03-19T06:52:00.000+00:00वे दोस्त, मेरे दोस्त ज़रूरी तो ये नहींतेरे क़रीब भ...वे दोस्त, मेरे दोस्त ज़रूरी तो ये नहीं<BR/>तेरे क़रीब भी हों जो मेरे क़रीब हैं<BR/><BR/><BR/>उस माँ की खुशदिली का ठिकाना न पूछिए<BR/>जिस माँ के बाल-बच्चे सभी खुशनसीब हैं<BR/><BR/>bahut khoob.....!<BR/><BR/>doosari gazal vishesh pasand aai..!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-23425360148021931422009-03-19T05:57:00.000+00:002009-03-19T05:57:00.000+00:00महावीर जीआपका ब्लॉग खूबसूरत हीरों का खजाना है. एक ...महावीर जी<BR/>आपका ब्लॉग खूबसूरत हीरों का खजाना है. एक से बढ़ केर एक नायाब चीजें यहाँ मिलती हैं....ग़ज़ल, गीत, परिचय सब बहुत खूब. प्राण साहब की ये ग़ज़ल <BR/><BR/>अच्छी तरह पता है मुझे प्यार की गली<BR/>गुज़रा था एक बार कभी इस गली से मैं<BR/><BR/>जीवन का निचोड़.....जिंदगी का फलसफा है इस पूरी ग़ज़ल में <BR/><BR/>मज़हब के नाम पर दिलों से सब क़रीब हैं<BR/>मेरी गली के लोग भी कितने अजीब हैं<BR/><BR/>एक ऐसा कडुआ सच भी है इस ग़ज़ल में....और भोली से मुस्कान, कोमल सी अभिव्यक्ति भी है इसमेंदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-29260675937949368632009-03-19T04:32:00.000+00:002009-03-19T04:32:00.000+00:00आदरनीय प्राण जी, आपके लिखे शब्द अपने आप में एक खु...आदरनीय प्राण जी, आपके लिखे शब्द अपने आप में एक खुद ही पहचान है ......जिन्दगी को इतनी सादगी से ब्यान करना आपकी कला है ......ये दोनों गजले कितनी पुरानी सही मगर इनमे जीवन का वही रूप और नजिरया है जिनसे हर दिन का गुजर होता है....ये दोनों शेर मुझे ख़ास एहसास से रूबरू का गये .....पहले वाला इसलिए क्यूंकि "जिन्दगी से इंसान बहुत कुछ सीखता है.....मगर खामोशी की जरूरत????? ये बात कितनी ख़ास हो जाती है......जब जिन्दगी ये सीखा जाये की जरूरत कभी खामोशी की भी होती है....ये सिर्फ एक कवि ह्रदय ही शायद समझ सकता है.....और दुसरा " उस माँ की ख़ुशी से छलकता ये शेर कितनी ठंडक पहुंचाता है दिल को..." <BR/><BR/>ख़ामोशियां भी चाहिए कुछ तो कभी कभी<BR/>सीखा हूं एक बात ये भी ज़िन्दगी से मैं<BR/><BR/>उस माँ की खुशदिली का ठिकाना न पूछिए<BR/>जिस माँ के बाल-बच्चे सभी खुशनसीब हैं<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com