tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post5772201380533338231..comments2023-10-31T11:05:43.618+00:00Comments on महावीर: अमेरिका से डॉ.सुधा ओम ढींगरा और लावण्या शाह की कविताएंमहावीरhttp://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-77000089775631910462009-08-09T01:50:34.266+01:002009-08-09T01:50:34.266+01:00do bahut sunder kawitayen padhwane ke liye aapkea ...do bahut sunder kawitayen padhwane ke liye aapkea abhar. Sudha jee koPadh kar achpan men laut gaya tha man. aur Lawanya jee kee sundari to adbhut.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-10939195769013487522009-08-07T12:23:08.162+01:002009-08-07T12:23:08.162+01:00mahaveer ji , dono kavitao ka rang chad gaya hai j...mahaveer ji , dono kavitao ka rang chad gaya hai ji , kya baat hai , kya shaandaar lekhan hai , waaaaaaaaaaaah..<br /><br />sudha ji aur lavanya didi , dono ke likhne ka andaaz bahut hi accha hai ..<br /><br />badhai .vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-44730927279345360862009-08-05T12:45:10.876+01:002009-08-05T12:45:10.876+01:00sudha jee tatha lavanya jee ki rachnaen padin in k...sudha jee tatha lavanya jee ki rachnaen padin in khubsurat rachnaon ke liye badhai deta hoon hame kahin gehre tak chhuti hein adbhut <br /> ashok andreyashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-39872316368386830392009-07-31T15:23:51.725+01:002009-07-31T15:23:51.725+01:00आदरणीय महावीर जी,
आप की बहुत -बहुत आभारी हूँ कि आप...आदरणीय महावीर जी,<br />आप की बहुत -बहुत आभारी हूँ कि आप ने अपने ब्लाग में हम दोनों सखियों को स्थान दिया. बलराम जी ने सही कहा है कि लावण्य जी की कविता छायावाद की याद दिलाती है, ऐसी कविता लिखना अब कठिन है. लावण्य जी, आप इसी तरह लिखती रहें. हृदय की गहराइयों से शुभकामनायें --बधाई! उनके साथ एक ही मंच पर आना मेरे लिए गर्व की बात है. हम दोनों को प्रोत्साहित करने के लिए आप का और सब साथियों का जिन्होंने ईमेल द्वारा अपनी प्रतिक्रियाएं भेजीं -धन्यवाद!Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-33936261837505169592009-07-30T22:46:41.594+01:002009-07-30T22:46:41.594+01:00Sudhaji
Is Materialistic world mein kahin koi kon...Sudhaji<br /><br />Is Materialistic world mein kahin koi kona hai jahan insaan admiyat ko bachakar<br /><br />वो मासूमियत, वो भोलापन<br />फिर से ओढ़ लेने को जी चाहता है.<br />ji sakta hai to koi sahityakaar hi hoga jo apne ko bisrakaar apne kirdaron ko jeevit karte hue aise hi kuch pal ji leta ho!!<br />Devi NangraniDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-85892780894066695942009-07-30T22:44:16.986+01:002009-07-30T22:44:16.986+01:00संध्या की
सजीली सेज पर ,
ह्रदय वीणा को
झंकृत कि...संध्या की<br /><br />सजीली सेज पर ,<br /><br />ह्रदय वीणा को<br /><br />झंकृत किये,<br /><br />ह्रदय के पाश <br /><br />atma ko parmatma se milne ke prayaas ki chatpatahat!!<br />ati Sunder abhivyakti Lavanya ke shabdon mein daad ke kabil!!!<br /><br />Devi NangraniDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-3841527818192289372009-07-30T13:39:43.723+01:002009-07-30T13:39:43.723+01:00विज्ञान,
बौद्धिक विकास
और भौतिक संवाद ने
बचपन की छ...विज्ञान,<br />बौद्धिक विकास<br />और भौतिक संवाद ने<br />बचपन की छोटी-छोटी<br />खुशियाँ छीन लीं.<br />बचपन का विश्वास<br />परिपक्वता का अविश्वास बन<br />अच्छा नहीं लगता है....<br />सुधा ओम ढींगरा जी की इस कविता में निर्मलता और सहजता के खो जाने की व्यथा अपनी पूरी गहराई में उतरी है। लावण्या शाह की कविता छायावाद का सशक्त उदाहरण है। ऐसे गीत लिखना अब आसान नहीं रहा। दोनों ही कवयित्रियों को हार्दिक बधाई।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-9303834188854774252009-07-30T09:28:40.491+01:002009-07-30T09:28:40.491+01:00... रचनाएँ प्रभावशाली व हृदय को छूने वाली हैं, बधा...... रचनाएँ प्रभावशाली व हृदय को छूने वाली हैं, बधाईंयाँ !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-48443686785591117512009-07-29T19:40:59.440+01:002009-07-29T19:40:59.440+01:00आदरणीय महावीर जी , आदरणीय पाण्डेय जी ,
तथा सौ. सु...आदरणीय महावीर जी , आदरणीय पाण्डेय जी ,<br />तथा सौ. सुधा जी ,<br />सादर प्रणाम !<br />आपके जालघर पर , मेरी कविता पढ़कर , कई विद्वानों ने मेरे पूज्य पापा जी को याद किया है<br /> ये सुनकर , मैं , गौरव और आनंद अनुभव कर रही हूँ -<br /><br /> पापा जी जैसा तो , मैं क्या लिखूँगी !<br />अगर , उनके आर्शीवाद से, और आप सब के प्रोत्साहन से , हमारी हिंदी के संग इसी तरह<br />जुडी रहूँगी तब भी अपने आपको ,<br /> कृतार्थ समझूँगी ..........<br /><br />आदरणीय, देवमणि जी,<br /> आप पापा जी के घर <br />" खार " के आवास पर पधारे थे , <br />ये सुनकर,<br /> फिर वह घर , याद हो आया -<br />आपका कहना सर्वथा सही है<br /> पापा जी और मेरी अम्मा, श्रीमती सुशीला नरेंद्र शर्मा , दोनों ही, भले मानुष थे --<br /> सब के स्नेही , सदा सर्वथा संस्कारी , व सद` गृहस्थ ही रहे -<br />सादगी और सरलता ही उनके आभूषण थे - -<br /><br />मेरे लिए , आज भी दोनों , ह्रदय में इस तरह बसे हुए हैं के मेरे भावों को ,<br /> शब्दों से बयान करते , अकसर मैं, भावुक हो जाती हूँ .......<br /><br />हां, आपका आभार प्रकट करती हूँ जो आपने पापा जी को याद किया और मुझे आशिष दीये हैं --<br /><br /> डाक्टर जयरामन जी ने भी कहा था एक बार ,<br /> " पण्डित जी का खार का आवास हिन्दी जगत का तीर्थ - स्थान था '<br /><br />आज उस घर में,<br />पापा जी तो नहीं रहे !<br />उनकी आत्मा भी अनंत पथ की और अग्रसर हो चुकी है -<br /> मेरा छोटा भाई परितोष है वहीं पर -<br /> और वह<br />पण्डित नरेंद्र शर्मा सम्पूर्ण " रचनावली " के प्रकाशनार्थ , कार्यरत है -<br /><br />सुधा जी ,<br />आपकी कविता पढ़कर मुझे भी मेरे शैशव की स्मृति हो आयी -<br />इस नायाब तोहफे के लिए , सप्रेम शुक्रिया :)<br /><br />आप सभी के इ मेल आ. महावीर जी ने लिख भेजे थे<br />अत: आप सभी को , <br />एक साथ ही, मेल लिख रही हूँ ,<br />अब आज्ञा लेती हूँ,<br />सादर - स - स्नेह<br />विनीत,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-32326787681078279532009-07-29T11:40:18.148+01:002009-07-29T11:40:18.148+01:00'अच्छा लगता है' कविता के लिए डॉ.सुधा ओम ढी...'अच्छा लगता है' कविता के लिए डॉ.सुधा ओम ढींगरा को बधाई । उन्होंने बचपन की याद दिला दी । बचपन में हम भी सितारों को ऐसे ही देखते थे।<br /> <br />लावण्या जी की कविता ''कौन'' भी अच्छी लगी । यह देखकर अच्छा लगा की अपने पिताजी से काव्य भाषा उनको विरासत में मिली है । सन् 1988 में जब मैने कविता लिखना शुरू ही किया था तब मुम्बई के 'खार' उपनगर में एक मित्र के साथ पं.नरेंद्र शर्मा से मिलने गया था । उनकी सादगी और सरलता देखकर हम लोग दंग रह गए थे । कुछ समय बाद बिरला क्रीड़ा केन्द्र में उनके साथ कविता पढ़ने का भी सौभाग्य मिला जिसमें स्व.विद्यानिवास मिश्र और स्व.जगदीश गुप्त भी शामिल थे । यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि लावण्या जी अपने पिताजी की रचनात्मक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं ।<br /><br />देवमणि पाण्डेय, मुम्बईदेवमणि पाण्डेय, मुम्बई से ई मेल द्वाराnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-69899558323983853742009-07-29T04:10:37.535+01:002009-07-29T04:10:37.535+01:00बेहतरीन प्रस्तुति सुधा जी और लावण्या जी को इन शब्द...बेहतरीन प्रस्तुति सुधा जी और लावण्या जी को इन शब्दचित्रों के लिये बहुत बधाईयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-23182835205343215542009-07-28T15:14:13.383+01:002009-07-28T15:14:13.383+01:00हिन्दी ब्लोग जगत की दो विशिष्ट कवियित्रियो़ की लाव...हिन्दी ब्लोग जगत की दो विशिष्ट कवियित्रियो़ की लावन्यमयी कविताओ़ की सुधा परोसकर आपने काव्यप्रेमियो़ को वेहतरीन उपहार दिया है.<br />सुधा जी की कविता मे़ एक ओर जहा बचपन के सजीव यादे़ है़ उनकी वर्तमान से तुलना है वही आज की निराशा के बाद भी आशा है. बहुत ही बेहतरीन कविता है ये.<br /><br />लावन्य जी की कविता मे़ रुमानियत के प्रचलित बिम्बो को असाधारण कौशल और ताजगी के साथ प्रस्तुत किया है. बहुत बहुत बधाई.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-49741712492456950762009-07-28T06:19:27.148+01:002009-07-28T06:19:27.148+01:00bahut achcha laga..aap dono ki kalam hindi sahitya...bahut achcha laga..aap dono ki kalam hindi sahitya ko smridha kar rahi hai..kavi kulwanthttps://www.blogger.com/profile/07096995143341561602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-63667879113900288762009-07-27T16:32:58.338+01:002009-07-27T16:32:58.338+01:00आदरणीय महावीर जी ,
सादर प्रणाम,
आप से जोन स्नेह और...आदरणीय महावीर जी ,<br />सादर प्रणाम,<br />आप से जोन स्नेह और अपनापन मिलता रहा है , मेरे लिए वह अमूल्य निधि है -<br />आप ने मेरी तथा बहन सुधा जी की कवितायेँ , आपके जाल घर पर देकर , फिर वही नेह नाता निभाया है<br />कृतग्य हूँ ...........<br />हिन्दी जगत के , साथीयों के यहां आने और अपने मन के भाव व्यक्त करने के लिए भी<br />ह्रदय से धन्यवाद कहती हूँ .........<br />विनीत,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-86070573663371341552009-07-27T16:28:30.904+01:002009-07-27T16:28:30.904+01:00सुधा जी की कविता के लावण्य और लावण्य जी के कविता स...सुधा जी की कविता के लावण्य और लावण्य जी के कविता से छलकती सुधा एक साथ पाकर मन तृप्त हो गया. दोनों कवयित्रियों का कलाम कमाल का है. एक ने बचपन की स्मृतियाँ जीवंत कर दीं तो दूसरी ने उषा-संध्या से साक्षात् करा दिया. दोनों रचनाकारों और संपादकों को साधुवाद.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-4208053314377884692009-07-27T14:30:13.734+01:002009-07-27T14:30:13.734+01:00MAHAVIR JEE,
SUDHA JEE AUR LAVANYA JEE
DONO ...MAHAVIR JEE,<br /> SUDHA JEE AUR LAVANYA JEE<br />DONO KO EK SAATH AAPKE BLOG PAR<br />DEKH KAR BAHUT ACHCHHA LAG RAHAA<br />HAI.DONO KEE KAVITAYEN PADHKAR <br />BADAA AANAND AAYAA HAI.AAPKA <br />BAHUT-BAHUT DHANYAWAAD.PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-86864732709341491762009-07-27T14:22:11.451+01:002009-07-27T14:22:11.451+01:00मेरी ग़लती से सुधा ओम ढींगरा जी की कविता अधूरी ही ...मेरी ग़लती से सुधा ओम ढींगरा जी की कविता अधूरी ही प्रकाशित हो गई थी<br /><br />जिसके लिए मुझे खेद है। कविता अब ठीक कर दी गई है।<br /><br />महावीर शर्मामहावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-4791173062949715622009-07-27T14:04:44.460+01:002009-07-27T14:04:44.460+01:00आदरणीय महावीर भाई साहब मैं शब्दों में नहीं कह सकत...आदरणीय महावीर भाई साहब मैं शब्दों में नहीं कह सकता कि आपने रक्षा बंधन के एक सप्ताह पूर्व दोनों बड़ी बहनों की कविताएं पढ़वा कर इस अनुज पर कितना उपकार किया है । दोनों ही मेरी बड़ी बहनें हैं । तथा दोनों को ही मैं दीदी कह कर पुकारता हूं और जीवन में बहन नहीं होने के उस दुख को जो अब तक था, कम होते महसूस करता हूं । कविताएं ऐसी हैं कि मुझे सीधे अपने उस छोटे में कस्बे में ले गईं जिसको बरसों पहले छोड़ दिया । जहां पर रात को आंगन में बिस्तर लगाते थे तो तारों भरा आसमान होता था । जहां पर संध्या को गायों के गले में बंधी घंटियों की आवाज से गोधुलि का समय गूंज उठता था । आज बरसों बाद उस छोटे से कस्बे की याद ये दोनों कविताएं पढ़ कर आ गई है और मन भारी हो गया है । अपनी दोंनों बहनों को प्रणाम और यही कि अपने अनुज पर स्नेह बनायें रखें । एक बार फिर से आपको भी प्रणाम इतनी सुंदर कविताएं पढ़वाने के लिये ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-84712910778710792292009-07-27T13:57:38.968+01:002009-07-27T13:57:38.968+01:00दोनो रचनायें अच्छी है। मन प्रसन्न हो गया।दोनो रचनायें अच्छी है। मन प्रसन्न हो गया।Sushil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/09252023096933113190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-52883897087145184522009-07-27T13:14:27.162+01:002009-07-27T13:14:27.162+01:00लावण्या और सुधा जी को पहले भी पढ चुकी हूँ इनकी कलम...लावण्या और सुधा जी को पहले भी पढ चुकी हूँ इनकी कलम हमेशा बांम्ध लेती है इन सुन्दर रचनाओं के लिये आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-17044226734754814862009-07-27T13:01:02.660+01:002009-07-27T13:01:02.660+01:00सुधा जी रचना हमें भी बहा कर पने बचपन की छत पर ले ग...सुधा जी रचना हमें भी बहा कर पने बचपन की छत पर ले गई-यही रचना की सफलता है:<br /><br />जब कभी निकलते हैं तो<br />फीकी सी मुस्कान दे इठलाते हैं.<br />पराये-पराये से लगते हैं,<br />फिर भी उनमें अपनों को<br />खोजना अच्छा लगता है.......<br /><br />-अद्भुत!! बधाई<br /><br /><br />लावण्या दी की रचना भी बहुत पसंद आई:<br /><br />मधू भार<br /><br />मुझ पर डालती ,<br /><br />कौन ..वह,<br /><br />सम्मोहिनी ?<br /><br />-वाह!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-84397721093854647962009-07-27T06:29:39.686+01:002009-07-27T06:29:39.686+01:00भाई महावीर जी
लावण्या जी की कविता के शब्दों से मै...भाई महावीर जी<br /><br />लावण्या जी की कविता के शब्दों से मैं सम्मोहति होता रहता हूं। आज की हिन्दी कविता शायद हिन्दुस्तानी कविता अधिक है।<br /><br />सुधा जी की यह कविता मैनें पूरी पढ़ रखी है। शायद ठीक से अपलोड नहीं हो पाई। इस कविता में पूरी बात नहीं आ पाई है। <br /><br />मुझे उम्मीद है कि सभी नेट-पाठकों को आप पूरी कविता पढ़वा देंगे।<br /><br />तेजेन्द्र शर्मा<br />कथा यूके, लंदनतेजेन्द्र शर्माhttps://www.blogger.com/profile/15753407163299608362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-11905664824364560082009-07-27T02:17:06.482+01:002009-07-27T02:17:06.482+01:00सुधा ओम ढींगरा ’मुझे अच्छा लगता है’ और लावणया शाह ...सुधा ओम ढींगरा ’मुझे अच्छा लगता है’ और लावणया शाह की ’कौन’ सुन्दर रचनाएं हैं. सुधा जी का अमेरिका में छत की गर्मियों की रातों को याद करना स्वाभाविक लगा. प्रकृति के इतने सुन्दर चित्रण के लिए सुधा जी को बधाई . लेकिन कविता क्यों कट गयी यह स्पष्टीकरण शर्मा जी को देना चाहिए. <br /><br />लावण्या जी की कविता का रिदम मोहता है. <br /><br />पुनः दोनों कवयित्रियों को बधाई.<br /><br />रूपसिंह चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-10358826948187504212009-07-27T01:57:06.463+01:002009-07-27T01:57:06.463+01:00मेरी सारी कविता कट गई है, इसकी तो कोई सैंस नहीं बन...मेरी सारी कविता कट गई है, इसकी तो कोई सैंस नहीं बनती. जो मैं कहना चाहती हूँ वह तो आया ही नहीं है.Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-50729020135544215492009-07-27T01:23:10.768+01:002009-07-27T01:23:10.768+01:00डॉ.सुधा ओम ढींगरा, लावण्या शाह जी, दोनों की ही लाज...डॉ.सुधा ओम ढींगरा, लावण्या शाह जी, दोनों की ही लाजवाब रचनाओं के लिये आपको बहुत धन्यवाद. बहुत ही नायाब रचनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.com