tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post6791103851528658986..comments2023-10-31T11:05:43.618+00:00Comments on महावीर: यू.के. से डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव जी की दो रचनाएँमहावीरhttp://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-73015932189026502012010-04-02T22:44:48.816+01:002010-04-02T22:44:48.816+01:00आदरणीय महावीर जी,
सादर वन्दे!
आपके प्रयासोँ को नमन...आदरणीय महावीर जी,<br />सादर वन्दे!<br />आपके प्रयासोँ को नमन!आप हिन्दी साहित्य की उल्लेखनीय सेवा कर रहे हैँ।आप स्वस्थ, प्रसन्न एवं मस्त रहेँ; ईश्वर से कामना है।<br />omkagad.blogspot.comओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-88522169500849797702010-04-02T22:38:13.474+01:002010-04-02T22:38:13.474+01:00सत्येन्द्र श्रीवास्तव की रचनाएं मानवीय संवेदनाओँ क...सत्येन्द्र श्रीवास्तव की रचनाएं मानवीय संवेदनाओँ को झकझोरने मेँ सक्षम हैँ।इनके रचाव मेँ भारतीयता की महक आती है।आपका ब्लाग यू.के.मेँ भारतीयता संरक्षक सरीखा है।बधाई!<br />omkagad.blogspot.comओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-12945337268473496782010-03-28T14:25:49.300+01:002010-03-28T14:25:49.300+01:00bahut achchhi tathaa prabhavshaalee kavitaen hain ...bahut achchhi tathaa prabhavshaalee kavitaen hain jo kaheen n kaheen hamare andar ke gusse ko hee vyakt kartee hue dikhaae detee hai, badhai.ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-8374267759724458452010-03-28T12:13:30.755+01:002010-03-28T12:13:30.755+01:00सत्य के करीब दो अच्छी कवितायें।सत्य के करीब दो अच्छी कवितायें।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-79655348792927954512010-03-28T10:43:31.520+01:002010-03-28T10:43:31.520+01:00श्रधेय महावीर जी को सादर प्रणाम,
आपका मेल मिला और ...श्रधेय महावीर जी को सादर प्रणाम,<br />आपका मेल मिला और दुःख हुआ यह जान कर के आप ज्यादा ही बीमार हिया मगर यह देख<br />दंग हूँ के आप इतनी ब्यास्ताता के बाद भी ब्लॉग पर मूल रूप से सक्रिय हैं...<br />डा . सत्येन्द्र जी की दोनों ही कवितायेँ बेहद खुबसूरत हैं , हालातों को जिस तरह से <br />इन्होने अपनी कवितावों में रखा है और आक्रोशित हैं वो लाजमी भी है ...<br />पहली कविता ने जहां खुद को और आस पास को देखने पे मजबूर किया और उन हालातों के लिए सोचने पर भी वहीँ दूसरी कविता ने तो आश्चर्यचकित कर दिया ...<br />उस निःस्वार्थ मन को जिसने ये सारी चीजे नहीं देखि है और अडिग है क्युनके उसे भय नहीं कारण यह के इन सभी चीजों से वो अछूता है ... कमाल की बात की है उन्होंने इन दोनों ही कीटों में ... बधाई...<br /><br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-4013944370950587962010-03-28T04:36:44.889+01:002010-03-28T04:36:44.889+01:00चिंतनप्रधान मर्मस्पर्शी रचनाएँ. साधुवाद.चिंतनप्रधान मर्मस्पर्शी रचनाएँ. साधुवाद.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-2195156112001733292010-03-27T17:07:34.358+00:002010-03-27T17:07:34.358+00:00श्रद्धेय महावीर जी, सादर प्रणाम.
”हम सभी कहीं...खू...श्रद्धेय महावीर जी, सादर प्रणाम.<br />”हम सभी कहीं...खूनी खेलों के..खिलाड़ी हैं...”<br />चिंतन करने लायक रचना की सबसे बड़ा सवाल लिये हैं ये पंक्ति. दोनों कविताएं बहुत अच्छी रहीं. लेखक को बधाई.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-13897225069007565062010-03-27T10:16:45.710+00:002010-03-27T10:16:45.710+00:00mahaveer jii
sadar pranam, acchi rahnaon ke liye a...mahaveer jii<br />sadar pranam, acchi rahnaon ke liye aap ko badhae aur dr, satyendra jee kio sadhuwad,<br />saadarsunil gajjanihttp://aakharkalash.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-4369204781916514022010-03-27T08:06:41.309+00:002010-03-27T08:06:41.309+00:00दोनों ही रचनाएँ अतिप्रभोत्पदक एवं विलक्षण हैं....
...दोनों ही रचनाएँ अतिप्रभोत्पदक एवं विलक्षण हैं....<br />पढ़कर मन चिंतन धार में प्रवाहित होने लगता है....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-43551517681414465442010-03-27T04:21:45.647+00:002010-03-27T04:21:45.647+00:00डॉ.सत्येन्द्र श्रीवास्तव की कविताएं अच्छी लगीं। बध...डॉ.सत्येन्द्र श्रीवास्तव की कविताएं अच्छी लगीं। बधाई !<br /><br />वह उन सबसे<br />ऊपर था, बड़ा था<br />इसीलिए बेशुमार हलचल के<br />आर-पार खड़ा था.<br /><br />देवमणि पाण्डेय (मुम्बई)देवमणि पाण्डेयhttp://devmanipandey.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-36833215815325485422010-03-26T19:57:35.039+00:002010-03-26T19:57:35.039+00:00अलग-अलग भावों को लेकर लिखी गयीं दोनों ही कवितायें ...अलग-अलग भावों को लेकर लिखी गयीं दोनों ही कवितायें एक विशिष्ट छाप छोड़ती हैं मन पर.. लेकिन दोनों ही संवेदनाओं से जुड़ी हैं इसलिए दोनों ही विश्वस्तरीय कवितायें हैं..<br />आदरणीय महावीर सर को ऐसी कवितायेँ पढ़ाने के लिए आभार और डॉ. सत्येन्द्र जी का शुक्रिया.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.com