tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post1147373323866747460..comments2023-10-31T11:05:43.618+00:00Comments on महावीर: यू.के. से तेजेंद्र शर्मा और प्राण शर्मा की कवितायेंमहावीरhttp://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-46413339261576240042009-09-12T13:50:20.003+01:002009-09-12T13:50:20.003+01:00सर्व प्रथम तो मैं प्राण शर्मा जी और तेजेंद्र शर्मा...सर्व प्रथम तो मैं प्राण शर्मा जी और तेजेंद्र शर्मा जी को नमन करते हुए आभार प्रकट करना चाहता हूँ जिन्होंने ऐसी विश्व स्तर की उच्चकोटि की रचनाओं से हमारे ब्लॉग के पाठकों को केवल आनंद ही नहीं, बल्कि बहुत कुछ सीखने का भी अवसर दिया है. <br />ये दोनों रचनाएँ 'अमानत' और 'मकड़ी बुन रही है जाल' एक बार पढ़ने के बाद बार बार पढ़ने की इच्छा होने लगती है, पाठक अपनी पर्सनल फाइल में सहेजने को बाध्य हो जाता है. <br /><br />प्राण जी की कविता को कालजयी विश्व-कविता कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है. ये पंक्तियाँ अनमोल हैं जो एक शक्ति का संचार करती हैं, जो जीवन में विपरीत परिस्तिथियों से हार मान कर निराश होजाते हैं, उनके लिए यह पंक्तिया एक संबल का कार्य करती हैं: <br />तुम अगर मुझसे कहो<br />मैं जिंदगी से भाग आऊँ<br />ये कभी मुमकिन नहीं है<br /><br />यदि मैं जिंदगी से भाग आया<br />मैं भगोड़ा ही सदा कहलवाऊंगा<br />उस सिपाही की तरह<br />जो<br />खून से लथपथ धरा को देख कर<br />वेदना से पूर्ण चीत्कारें<br />श्रवण करता हुआ<br />जंग के मैदान से<br />डरता-सिहरता<br />भाग उठता है<br />दिखा कर<br />पीठ अपनी<br /><br />तेजेंद्र जी की कविता एक उच्चकोटि की विश्व कविता है. 'मकड़ी जाल बुन रही है' - प्रतीक द्वारा इस रचना में पूरे त्रस्त-समाज का एक बहुत ही प्रभावशाली चित्रण किया है. तेजेंद्र जी ने इस युग की सामाजिक दशा का अच्छी तरह निरीक्षण किया है. इसी कारण इस रचना में इसका स्वरूप अंकित करके मकड़ी के माध्यम से बड़े उपयुक्त शब्दों में समाज में फैलती हुई बुराइयों से अवगत कराने का सफल प्रयत्न किया है. <br />प्रत्येक पंक्ति मस्तिष्क को झंझोड़ने लगती है, सोचने पर बाध्य करती है और एक मानसिक छटपटाहट की सी स्थिति में मानव निराश सा होने लगता है किन्तु कविता के अंत मे सकारात्मक विचारों का आविर्भाव होता है: <br />मकड़ी के जाले को<br />तोड़ना जरूरी है<br />विश्व भर में दादागिरी<br />यही है बस उसकी चाल<br />मकड़ी बुन रही है जाल <br />प्राण जी और तेजेंद्र जी को अनेक बधाईयाँ. <br />महावीरमहावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-62748094624909718582009-09-12T08:27:05.721+01:002009-09-12T08:27:05.721+01:00तेजेन्द्र शर्मा जी की इस कविता में विचार-बोध का गह...तेजेन्द्र शर्मा जी की इस कविता में विचार-बोध का गहरा प्राबल्य है जो पाठक को अंत तक बांधे रखता है-संस्कृति लुट रही है <br />अस्मिता पिट रही है<br />मकड़ी को रोकने की<br />किसी में नहीं मजाल <br />मकड़ी बुन रही है जाल<br />इन पंक्तियों में कवि की चिंता बहुत गहराई से प्रकट हुई है।<br />प्राण शर्मा की कविता जिन्दगी की उर्जा से लबरेज कविता है जिसमें मानव जीवन के संघर्ष की स्वीकृति पाठक को प्रभावित करती हपतझड़http://diary.sushilkumar.net/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-19289207841953294312009-09-11T16:42:14.183+01:002009-09-11T16:42:14.183+01:00विलंब से आ रहा हूँ गुरूवर। कुछ व्यस्ततायें...कुछ उ...विलंब से आ रहा हूँ गुरूवर। कुछ व्यस्ततायें...कुछ उलझनें थीं।<br /><br />आपसे एक शिकायत करने का जोखिम उठा रहा हूँ। ये एक साथ दो-दो श्रेष्ठ रचनायें न दिया कीजिये। हम एक के जादू से उबर नहीं पाते कि दूजे में डूबना पड़ता है।<br /><br />तेजेन्द्र जी को पढ़ना हमेशा से अद्भउत रहा है। और जैसा कि ऊपर श्रद्धेय सुबीर जी ने कहा है तो ये सचमुच एक वैश्विक कविता है।<br /><br />प्राण साब तो हमेशा से अचम्भित करते हैं। उनका ये नया रूप भी खूब भाया।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-58647098183003173042009-09-08T21:04:04.061+01:002009-09-08T21:04:04.061+01:00तेजेन्द्र जी का गीत और प्राण जी की कविता दोनो उत्क...तेजेन्द्र जी का गीत और प्राण जी की कविता दोनो उत्कृष्ट रचनायें है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-25867461899319747692009-09-08T13:07:37.002+01:002009-09-08T13:07:37.002+01:00Sundar rachnaayen.
Think Scientific Act Scientific...Sundar rachnaayen.<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">Think Scientific </a><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">Act Scientific </a>अशरफुल निशाhttps://www.blogger.com/profile/09800331914695674842noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-9159378472324881512009-09-08T00:28:44.851+01:002009-09-08T00:28:44.851+01:00विनाश के हथियार छुपे
होगा जनसंहार अब
बचेगा न तानाश...विनाश के हथियार छुपे<br />होगा जनसंहार अब<br />बचेगा न तानाशाह <br />खींच लेंगे उसकी खाल<br />मकड़ी बुन रही है जाल!!!!!!!!<br /><br />समय का चक्र चल रहा है, नियति अपनी कार्य कर रही है और मकडी अपना जाल बुन रही है.समय के दायिरे में कैद सब के सब!! बहुत सुंदर कविता से रूबरू हुए हैं. तेजेंद्रजी कि हर रचना हो या कहानी पुर असर होती है.<br /><br />प्राण शर्मा जी ने ज़िन्दगी को अमानत के तौर सुंदर अभिव्यक्ति द्वारा सँवारने का सलीका बखूबी पेश किया है.<br /><br />जिंदगी मुझको मिली है <br />मैं संवारूं जिंदगी की हर घड़ी को <br />तब तक कि जब तक <br />जिंदगी की सांस बाकी है<br />महावीरजी आपको इन रचनाओं कि प्रस्तुति के लिए बधाई!!<br />देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-61053785658415950192009-09-07T17:55:42.443+01:002009-09-07T17:55:42.443+01:00कविताएं दोनो ही अद्भुत थीं....
यदि मैं जिंदगी से भ...कविताएं दोनो ही अद्भुत थीं....<br />यदि मैं जिंदगी से भाग आया<br />मैं भगोड़ा ही सदा कहलवाऊंगा<br />उस सिपाही की तरह्ति<br />जो<br />खून से लथपथ धरा को देख कर<br />वेदना से पूर्ण चीत्कारें<br />श्रवण करता हुआ<br />जंग के मैदान से<br />डरता-सिहरता<br />भाग उठता है<br />दिखा कर<br />पीठ अपनी<br /><br />प्राण शर्मा जी की इस पाक्ति का का आकर्षण अलग सा था.....कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-12935130938411782712009-09-07T15:54:27.646+01:002009-09-07T15:54:27.646+01:00दोनों कविताएँ बहुत अच्छी लगी.
बधाई.दोनों कविताएँ बहुत अच्छी लगी.<br />बधाई.Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-48408298469980277242009-09-07T14:05:26.056+01:002009-09-07T14:05:26.056+01:00बच्चों की लाशें हैं
औरतों के शव पड़े हैं
बमों की ह...बच्चों की लाशें हैं <br />औरतों के शव पड़े हैं<br />बमों की है गड़गड़ाहट<br /><br />आया जैसे भूचाल <br />मकड़ी बुन रही है जाल<br /><br /><br />संस्कृति लुट रही है <br />अस्मिता पिट रही है<br />मकड़ी को रोकने की<br />किसी में नहीं मजाल <br />मकड़ी बुन रही है जाल<br /><br /><br />Tejndra Sharma ji ki kavita halaat ki gambheerta chitrankit karti hai<br /><br />makdi ke jaale ko todna zaruri hai<br />bahut sach kaha hai<br /><br /><br /><br />Pran sharma ji ki Kavita "Amanat"<br />man ko kahi gahre jhakjhorti hai<br /><br />bhaagna aur nahin baagne ke peeche ki soch<br /><br />खून से लथपथ धरा को देख कर <br />वेदना से पूर्ण चीत्कारें <br />श्रवण करता हुआ <br />जंग के मैदान से <br />डरता-सिहरता <br />भाग उठता है <br />दिखा कर <br />पीठ अपनी<br /><br />shabdon ka chayan aur gahre bhaavon ko likhne ki kala Pran ji ko bakhubi aati haiश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-75933191787804008572009-09-07T13:15:54.852+01:002009-09-07T13:15:54.852+01:00... atisundar rachnaayen !!!... atisundar rachnaayen !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-62260222945995163582009-09-07T10:06:00.169+01:002009-09-07T10:06:00.169+01:00आदरणीय तेजेंद्र शर्मा जी की "मकडी बुन रही जाल...आदरणीय तेजेंद्र शर्मा जी की "मकडी बुन रही जाल" और प्राण साहब की " अमानत ".....गहरे झकझोर गहन चिंतन को बाध्य करती हैं....<br /><br />मुग्ध करती इन सुन्दर रचनाओं के पठान का सुअवसर देने हेतु आदरणीय महावीर जी का कोटिशः आभार.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-48470061054649899752009-09-07T06:04:20.231+01:002009-09-07T06:04:20.231+01:00तेजेंद्र शर्मा की
मकड़ी बुन रही है जाल और
प्राण शर...तेजेंद्र शर्मा की<br />मकड़ी बुन रही है जाल और <br />प्राण शर्मा की जिंदगी मुझको मिली है<br />बहुत खूबसूरत रचानाएं...संवेदनओं से भरपूर..महावीर जी को बधाई..kavi kulwanthttps://www.blogger.com/profile/07096995143341561602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-27856724302339783042009-09-07T02:19:29.725+01:002009-09-07T02:19:29.725+01:00आदरणीय महावीर जी ,
सादर नमस्ते समय समय पर आप हमें...आदरणीय महावीर जी ,<br />सादर नमस्ते समय समय पर आप हमें सोचने लगें और मंथन करें ऐसी रचनाएं से रूबरू करवाते रहते हैं <br />इस तरह आप का कोटिश: आभार तथा आपकी विनम्रता से हमें भी सीखने को मिलता है --<br />तेजेंद्र भाई साहब की कविता का सन्दर्भ<br /> स्पष्ट है -<br />- मकडी का जाल<br /> अब हर दिशा में फैला हुआ है <br />:-((<br /><br />आँखें खोल कर हम यह् विनाश लीला देख रहे हैं <br /><br />प्राण भाई साहब की कविता हो या ग़ज़ल,<br /> सीधे अंतस्तल से दूसरों को<br /> भीतर तक छू जातीं हैं <br /><br />अत: दोनों रचनाकर्मियों को<br /> मेरी बधाई तथा शुभकामनाएं <br />सादर, स -स्नेह,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-40942030707523805712009-09-06T18:43:14.814+01:002009-09-06T18:43:14.814+01:00बहुत अच्छी लगी दोनों रचनाएँबहुत अच्छी लगी दोनों रचनाएँअर्चना तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04130609634674211033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-47856029681935179382009-09-06T14:16:38.149+01:002009-09-06T14:16:38.149+01:00तेजेंद्र शर्मा जी और प्राण शर्मा जी की कविताओं में...तेजेंद्र शर्मा जी और प्राण शर्मा जी की कविताओं में कहीं कहीं वर्तनी की त्रुटियां आगई थीं, जो अब ठीक कर दी गईं हैं. <br />आशा है तेजेंद्र जी और प्राण जी मेरी इस लापरवाही के लिए क्षमा करेंगे. <br />महावीर शर्मामहावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-62421871707356606712009-09-06T12:57:25.960+01:002009-09-06T12:57:25.960+01:00TEJENDER JI APR PRAAN JI KI RACHNAAON KO PADH KAR ...TEJENDER JI APR PRAAN JI KI RACHNAAON KO PADH KAR LAGTA HAI KI KITNA KUCH HAI JO NAYE RACHNAKAARON KO SEEKHNE KO BAAKI HAI ....... BHAAV, KATHY, PRASTUTI..... EK SE BADH KAR EK ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-12471719486383066332009-09-06T09:50:23.672+01:002009-09-06T09:50:23.672+01:00तेजिन्द्र शर्मा जी की रचनायें हमेशा ही मन्त्रमुग्ध...तेजिन्द्र शर्मा जी की रचनायें हमेशा ही मन्त्रमुग्ध करती हैं सारी रचना हे बहुत सुन्दर है मगर ये पंक्तियां सटीक अभिव्यक्ति हैजमाने का मुंह चिढाकर<br />अंगूठा सबको दिखाकर<br />तेल के कुओं की खातिर<br />बिछेंगे अब नर कंकाल<br />मकड़ी बुन रही जाल शर्मा जी को बहुत बहुत बधाई<br />श्रद्धेय गुरूवर प्रां शर्मा जी की कविता ने तो जसे मन मे प्राण फूँक दिये हैं जीवन को खुशी से जीने की प्रेरणा देती सार्थक और कालजयी रचना के लिये गुरुवर का बहुत बहुत धन्यवाद ।उनका आशीर्वाद बना रहे तो हमे ऐसी सुन्दर रचनायें मिलती रहें आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद जो आपके माध्यम से हम उनके दर्शन कर पाते हैंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-37233851583548800382009-09-06T09:39:51.987+01:002009-09-06T09:39:51.987+01:00aadarniya mahaveer jee aapke dwara preshit dono ra...aadarniya mahaveer jee aapke dwara preshit dono rachnaen padin bahut khoobsurat rachnaen hein jo man ko sahaj hee chhu leti hein kahin gehre jaakar kyonki Tejendr sharma jee ki kavita - makdiyan vakei jaal bun rahii hein isse to pura samaj trast hogaya hei iiske piichhe ek dard ka ehsas chhiipa hei joki dar ke sagar teyaar karta hei. <br />Lekin Pran jee ki kavitaa bahut aashvast karti hei- tum agar mujse kaho, mein jindagii se bhaag jaoon,ye mumkin nahin hei.<br />hame ek taakat ka ehsas karati hei<br /> meri aur se dono ko badhai<br /><br /> ashok andreyashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-81070955913288846912009-09-06T06:27:57.047+01:002009-09-06T06:27:57.047+01:00कमेंट की शुरुआत करने के पहले अपने अभिभूत होने की ज...कमेंट की शुरुआत करने के पहले अपने अभिभूत होने की जानकारी । बड़े भाईयों को आभार देकर उनके नेह का अपमान नही किया जाता है इसलिये आभार नहीं व्यक्त कर रहा हूं । पर अभिभूत हूं इस गात से कि आपने मेरी कविता का वीडियो अपने ब्लाग पर लगाकर अनुज का मान बढ़ाया है । पिछले कुछ दिनों से एक लम्बी कथा वस्तु पर काम कर रहा हूं सो इंटरनेट से दूर हूं । आज अचानक ही बैठा तो ये दोनो कविताएं पढ़ीं । तेजेन्द्र जी की कविता पढ़र ज्ञात हुआ कि विश्व कविता किसे कहते हैं मेरे विचार में ये एक भारतीय परिवेश में लिखी गई विश्व कविता का श्रेष्ठ उदाहरण है <br />बच्चों की लाशें हैं<br />औरतों के शव पड़े हैं<br />बमों की है गड़ग डाहट<br />आया जैसे भूचाल<br />मकड़ी बुन रही है जाल<br />इंगित किस ओर है ये सब जान रहे हैं. तेजेन्द्र जी को बहुत बहुत धन्यवाद एक विश्व कविता से परिचय कराने के लिये बहुत बहुत सुंदर कविता है ये जिसके लिये शब्द नहीं है । <br />प्राण भाई साहब के तो कहने ही क्या अब तो रश्क होने लगा है उनकी कलम से । <br />खून से लथपथ धरा को देख कर<br />वेदना से पूर्ण चीत्कारें<br />श्रवण करता हुआ<br />जंग के मैदान से<br />डरता-सिहरता<br />भाग उठता है<br />दिखा कर<br />पीठ अपनी<br />इन पंक्तियों को मौन रह कर सुना जाये सुना जाये रात के अंधेरे में सन्नाटे को चीरते हुए जब कवि स्वयं ही कविता का पाठ कर रहा हो । दोनों ही कविताएं विश्व स्तर की कविता हैं जो सीमाओं को तोड़ते हुए पहुचती हैं वहां तक जहां पीड़ा है दुख है और संकट है । आप लोग विदेश में रह कर जो कार्य कर रहे हैं वह स्तुत्य है । <br />दादा भाई आप भारत कब आ रहे हैं आपके पास बैठकर मुझे बहुत ट्रेनिंग लेनी है काफी कुछ सीखना चाहता हूं आपके चरणों में बैठकर । <br />तीनों काव्य शिखरों को मेरा प्रणाम । क्या तेजेन्द्र जी की ये कविता मैं कहीं उनके ही नाम से उपयोग करने के लिये ले सकता हूं । दरअसल में मुझे विश्व कविता पर कुछ लिखना है और मैं चाहता हूं कि उसमें अधिकांश उद्धरण हिंदी कवियों केही आयें ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-14825028664250006752009-09-06T05:45:30.501+01:002009-09-06T05:45:30.501+01:00adbhut rachnaae "makadi bun rahi jaal" a...adbhut rachnaae "makadi bun rahi jaal" ati sundar !!Murari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-30439204126838299082009-09-06T04:33:53.351+01:002009-09-06T04:33:53.351+01:00बड़ा आनन्द मिला बाँच कर..........
उम्दा कवितायें...बड़ा आनन्द मिला बाँच कर..........<br />उम्दा कवितायें..........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.com