tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post2832451738225718420..comments2023-10-31T11:05:43.618+00:00Comments on महावीर: यू.के. से प्राण शर्मा की दो नई ग़ज़लेंमहावीरhttp://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-88227359665545477472010-07-15T06:35:16.201+01:002010-07-15T06:35:16.201+01:00मन तो तुम्हारे फूल से कोमल हैं दोस्तो
सोचों का बो...मन तो तुम्हारे फूल से कोमल हैं दोस्तो <br />सोचों का बोझ इनसे उठाया नहीं करो <br />Bahut hi sunder sher, man ko raahat pradaan karta hua..shabdon ka rakh rakhaav sher mein dum bhar deta hai aur is nageenedari mein Pran ji ki dakshata hai.. Bahut sunder!!!Devi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-41703420525553704072010-07-10T20:07:38.704+01:002010-07-10T20:07:38.704+01:00प्राण शर्मा जी की ग़ज़लें पढ़कर आनंद आ गया.
अपनी भल...प्राण शर्मा जी की ग़ज़लें पढ़कर आनंद आ गया.<br />अपनी भले ही कसमों को खाया करो मगर<br />ऐ "प्राण" माँ की कसमों को खाया नहीं करो<br />ग़ज़ब का ख़याल है और उस पर शब्दों का चयन जैसे नगीने जड़े हों. <br /><br />मन तो तुम्हारे फूल से कोमल हैं दोस्तो<br />सोचों का बोझ इनसे उठाया नहीं करो<br />और<br />बहुत सुनते हैं बाहर मुस्कराना आपका लेकिन<br />कभी घर में भी अपने मुस्कराया कीजिये साहिब<br />वाह!! मज़ा आ गया. बधाई.महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-18935095259341356492010-07-09T12:17:46.162+01:002010-07-09T12:17:46.162+01:00दोनों ही गज़लें बहुत अच्छी हैं.
धन्यवाद.दोनों ही गज़लें बहुत अच्छी हैं.<br />धन्यवाद.Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-73245854252039549102010-07-09T09:59:50.866+01:002010-07-09T09:59:50.866+01:00उड़ जाएगा वो आप ही कुछ देर बैठ कर
यूँ ही कोई परिंदा...उड़ जाएगा वो आप ही कुछ देर बैठ कर<br />यूँ ही कोई परिंदा उड़ाया नहीं करो<br />बहुत सुन्दर शेर. दोनों ही गज़लें बहुत सुन्दर हैं. आभार.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-66957767694968449952010-07-09T02:41:15.538+01:002010-07-09T02:41:15.538+01:00वैसे तो शर्मा साहब की पूरी ग़ज़ल शानदार है मगर यह ...वैसे तो शर्मा साहब की पूरी ग़ज़ल शानदार है मगर यह शेर तो लाजवाब लगा<br />उड़ जाएगा वो आप ही कुछ देर बैठ कर <br />यूँ ही कोई परिंदा उड़ाया नहीं करो <br />....क्या बात है सर, काश कि हम भी कुछ ऐसा लिख पाते....!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-52918331247551197582010-07-08T07:33:12.535+01:002010-07-08T07:33:12.535+01:00AAderniya Bhai Shri Mahaveer ji Sharma and Shri Pr...AAderniya Bhai Shri Mahaveer ji Sharma and Shri Pran Sharma ji,<br />Donon ghazalen padhkar aanand aa gaya.Mian to aapke blog par aaj pahali baar aya hoon. Itni sunder ghazalen padvaane ke liye apko dhanyawad deta hoon. <br />ud jaayega wo aap hi kuchh der baith kar, yoon hi koi parinda udaaya na kijiye aur <br />kisi ki raah men palaken bichhaya kijiye sahib samarpan bhi kabhi apna dikhaya kijiye sahib.<br />Bahut sunder sher. is prastuti ke liye men punah hardik badhai deta hoon <br />chandrabhan bhardwajchandrabhan bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/09515769930349777559noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-30696915788392724292010-07-07T19:04:27.833+01:002010-07-07T19:04:27.833+01:00प्राण शर्मा जी की ग़ज़ल पर मैं क्या कहूँ, लेकिन क...प्राण शर्मा जी की ग़ज़ल पर मैं क्या कहूँ, लेकिन कहे बिना तो बात अधूरी रह जायेगी।<br />ग़ज़ल कहने का ये अंदाज़ बहुत ही खूबसूरत है<br />कभी फु़र्सत में हमको भी सिखाया कीजिये साहब।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-31099315538533928102010-07-07T16:47:41.658+01:002010-07-07T16:47:41.658+01:00उड़ जायगा वह आप ही कुछ देर बैठ कर
यूँ ही कोई परिंदा...उड़ जायगा वह आप ही कुछ देर बैठ कर<br />यूँ ही कोई परिंदा उड़ाया न करो.<br /><br />प्राण शर्मा जी ,आप में सादगी के साथ ग़ज़ल को गहराई देने की कला है हार्दिक बधाई .सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-90556806162125453082010-07-07T16:18:42.628+01:002010-07-07T16:18:42.628+01:00श्रद्धेय महावीर जी इतनी लाजवाब ग़ज़ल पढ़वाने के लि...श्रद्धेय महावीर जी इतनी लाजवाब ग़ज़ल पढ़वाने के लिए धन्यवाद. <br />मन तो तुम्हारे फूल से कोमल हैं दोस्तो <br />सोचों का बोझ इनसे उठाया नहीं करो <br /><br />वाह क्या लखनौवा नज़ाकत है!!!!!!!!!!!!!!<br /> <br />अपनी भले ही कसमों को खाया करो मगर <br />ऐ "प्राण" माँ की कसमों को खाया नहीं करो<br />बहुत बेहतरीन लाज़वाब .रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-83878955560937734812010-07-07T15:14:55.022+01:002010-07-07T15:14:55.022+01:00उड़ जाएगा वो आप ही कुछ देर बैठ कर
यूँ ही कोई परिंद...उड़ जाएगा वो आप ही कुछ देर बैठ कर <br />यूँ ही कोई परिंदा उड़ाया नहीं करो <br />ये बात सोचने वाली लगी ...क्यों नाहक ही उड़ाते हैं , जब खुद ही साथ छोड़ जाना है । गहरी बात , बधाई स्वीकारें ।शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-67487415125695296192010-07-07T07:56:13.643+01:002010-07-07T07:56:13.643+01:00दोनों ही गज़लें बहुत पसंद आयीं.
'हजारों बार छोट...दोनों ही गज़लें बहुत पसंद आयीं.<br />'हजारों बार छोटी - छोटी बातें सुननी पड़ती हैं<br />भला क्योंकर उन्हें दिल से लगाया कीजिये साहिब '<br />और <br />उड़ जाएगा वो आप ही कुछ देर बैठ कर<br />यूँ ही कोई परिंदा उड़ाया नहीं करो <br />खास पसंद आये.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-84391522145703865382010-07-06T17:53:17.643+01:002010-07-06T17:53:17.643+01:00दोनों ही अंतर्मन को छूती हुई मुकम्मल ग़ज़लें. हर श...दोनों ही अंतर्मन को छूती हुई मुकम्मल ग़ज़लें. हर शेर उम्दा. फिर भी मुझे जो शेर खास कर भाये -<br />अपनी भले ही कसमों को खाया करो मगर<br />ऐ "प्राण" माँ की कसमों को खाया नहीं करो<br />***<br />जिसे तक कर सभी ऐ "प्राण" आँखें मींच लें अपनी<br />न ऐसा खेल दुनिया को दिखाया कीजिये साहिब<br />प्राण साहब की गजलों की ही खूबी है कि वे हिंदी का प्रयोग कर इतने सरल और सहज अंदाज़ में शेरों के अश'आरों को ढाल कर रदीफ़ और काफियों को करीने से सजाते हैं..<br />साधुवाद आदरणीया प्राण साहब. आदरजोग महावीर जी का आभा और सादर वंदन !Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-87093571607930727212010-07-06T16:55:52.362+01:002010-07-06T16:55:52.362+01:00आ. महावीर जी व आ. प्राण भाई साहब,
नमस्ते
ज्ञानोदय...आ. महावीर जी व आ. प्राण भाई साहब,<br />नमस्ते <br />ज्ञानोदय में जो पापा की कविता आनेवाली है कृपया उसका लिंक भी भेजिएगा <br />आपकी दोनों ग़ज़लें पढ़कर बेसाख्ता<br /> " वाह वाह "= दाद,<br /> निकल ही जाती है - <br />पहली में , "क्या नहीं करना चाहीये " <br />यह तरीके से समझा दिया है आपने<br /> और दूसरी में <br />"क्या करो " ये बात-- <br /> किस खूबी और प्यार से,<br /> समझा दी आपने भई वाह ! <br />ऐसा कमाल तो ,<br />ब स आपकी कलम का जादू ही कर सकता है !<br />आपको बधाई व<br /> आ. महावीर जी को भी <br />आभार व सादर प्रणाम ......<br />स स्नेह, सादर,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-39088204026020023922010-07-06T12:28:04.229+01:002010-07-06T12:28:04.229+01:00ये माना,आप अपने को सजाते हैं बड़ा लेकिन
मज़ा तब ह...ये माना,आप अपने को सजाते हैं बड़ा लेकिन <br />मज़ा तब है कि घर को भी सजाया कीजिये साहिब <br /><br />ग़ज़ब की बात है इस शेर में ... अपने आप को तो सभी संभालते हैं ... घर, समाज और देश की चनटा भी ज़रूरी है ... बहुत सादगी से अपनी बात को रखते हैं प्राण जी ... दिल में उतार जाती हैं उनकी ग़ज़लें ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-63415934167068852392010-07-06T11:53:14.719+01:002010-07-06T11:53:14.719+01:00आदरणीय प्राण जी की दोनो ग़ज़लें लाजवाब हैं ... आनं...आदरणीय प्राण जी की दोनो ग़ज़लें लाजवाब हैं ... आनंद आ जाता है इतनी सुलझी हुई ग़ज़लें पढ़ कर ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-47792702897096178422010-07-06T11:48:45.371+01:002010-07-06T11:48:45.371+01:00बहुत सुनते हैं बाहर मुस्कराना आपका लेकिन
कभी घर मे...बहुत सुनते हैं बाहर मुस्कराना आपका लेकिन<br />कभी घर में भी अपने मुस्कराया कीजिये साहिब<br /><br />2<br />उड़ जाएगा वो आप ही कुछ देर बैठ कर<br />यूँ ही कोई परिंदा उड़ाया नहीं करो <br />सम्मानिय प्राण साब ,<br />प्रणाम !<br />दोनों गज़ले अच्छी है नगर मेरी पसंद के दो शेर मैंने आप कि नज़र पेश किये है , सुंदर !<br />साधुवाद !सुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-83887987851592363772010-07-04T15:48:43.360+01:002010-07-04T15:48:43.360+01:00This comment has been removed by the author.सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-15918449988547466072010-07-04T15:48:32.168+01:002010-07-04T15:48:32.168+01:00प्राण साहिब की ग़ज़लें पढ़कर एक सुकून मिलता है। दोनों...प्राण साहिब की ग़ज़लें पढ़कर एक सुकून मिलता है। दोनों ग़ज़लों के कई अशआर बहुत उम्दा हैं। प्राण साहिब को बधाई !सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-89049377433900420802010-07-04T03:19:22.066+01:002010-07-04T03:19:22.066+01:00अपनी भले ही कसमों को खाया करो मगर
ऐ "प्राण&q...अपनी भले ही कसमों को खाया करो मगर <br />ऐ "प्राण" माँ की कसमों को खाया नहीं करो<br /><br />जिसे तक कर सभी ऐ "प्राण" आँखें मींच लें अपनी <br />न ऐसा खेल दुनिया को दिखाया कीजिये साहिब <br /><br />प्राण जी,<br /><br />मन को छू जाने वाली गज़लें हैं. बेहद खूबसूरत.<br /><br />चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-22066083348108182952010-07-03T13:39:11.568+01:002010-07-03T13:39:11.568+01:00उड़ जाएगा वो आप ही कुछ देर बैठ कर
यूँ ही कोई परिंदा...उड़ जाएगा वो आप ही कुछ देर बैठ कर<br />यूँ ही कोई परिंदा उड़ाया नहीं करो <br /><br />लाजवाब पंक्ति .<br /><br />अति उत्तम दोनों ही गजले .....बहुत आनंद आया पढ़ कर .Devhttps://www.blogger.com/profile/05009376638678868909noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-67481023728749394022010-07-03T11:42:14.719+01:002010-07-03T11:42:14.719+01:00dono hi gazal mann ko khushi deti hai....hamesha k...dono hi gazal mann ko khushi deti hai....hamesha ki tarah bahut hi badhiyaaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-61505666769846507922010-07-03T08:35:15.398+01:002010-07-03T08:35:15.398+01:00priya bhai Pran jee aapki itnii achchhi gajlen pad...priya bhai Pran jee aapki itnii achchhi gajlen pad kar man ek sukhad ehsaas se bhar gayaa-<br />hajaaron baar chhoti-chhoti baten<br />sunnanii padti hain<br />bhala kyonkar oonhen se lagaaya kiijiye saahib.<br />badhai, bahut-bahut.ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-65602902867806837452010-07-03T07:57:50.611+01:002010-07-03T07:57:50.611+01:00Pran ji ko padhana hamesha hi sukhad rahta hai...Pran ji ko padhana hamesha hi sukhad rahta hai...kavi kulwanthttps://www.blogger.com/profile/07096995143341561602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-9338899307386495512010-07-03T06:50:07.256+01:002010-07-03T06:50:07.256+01:00शिल्पगतरूप में सुगठित एवं भावसंपन्न गजलों के लिए ब...शिल्पगतरूप में सुगठित एवं भावसंपन्न गजलों के लिए बधाई स्वीकारें।डॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-37081811389292299262010-07-03T06:38:52.769+01:002010-07-03T06:38:52.769+01:00बहुत सुनते हैं बाहर मुस्कराना आपका लेकिन
कभी घर म...बहुत सुनते हैं बाहर मुस्कराना आपका लेकिन <br />कभी घर में भी अपने मुस्कराया कीजिये साहिब <br /><br />वाह...वा...बेमिसाल...ऐसे अशआर जो पढ़ते ही दिल पर चस्पां हो जाएँ आदरणीय प्राण साहब की लेखनी से ही निकल सकते हैं. उनकी ये दो बेहतरीन ग़ज़लें हम तक पहुँचाने के लिए आपका जितना शुक्रिया किया जाये कम है.<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com