tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post4960105230782480566..comments2023-10-31T11:05:43.618+00:00Comments on महावीर: पंकज सुबीर की कविता - भेड़ियामहावीरhttp://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-89219759539571745032009-10-04T01:07:15.891+01:002009-10-04T01:07:15.891+01:00सुबीर जी की इस कविता में केवल भावाभिव्यक्ति, शब्द-...सुबीर जी की इस कविता में केवल भावाभिव्यक्ति, शब्द-चयन और काव्य-कला की दृष्टि से ही एक उच्चकोटि कविता नहीं है, बल्कि बुश की पाश्विक वृत्ति को बड़ी ही निर्भीकता से उजागर किया है. एक सटीक, यथार्थ और सजीव चित्रण से यह कविता अपनी एक अलग पहचान बना पाई है. बुश के चाटुकारों के लिए एक चेतावनी भी है और ललकार भी. अंत की पंक्तियों में कवि ने एक प्रश्न किया है:<br />उसी दिन से<br />गंध मेहसूस की जाती है<br />बारूद की<br />राजघांट की हवाओं में,<br />आपने मेहसूस की क्या.......?<br />सत्य तो यह है कि राजघाट की हवाओं में बारूद की गंध सुदूर देशों तक में महसूस की जाती है. <br />मैं सुबीर जी का आभारी हूँ कि पाठकों के लिए एक ऎसी कविता दी है जो दीर्घकाल तक मस्तिष्क में घूमती रहेगी. सुबीर जी को इसके लिए बधाई.<br />आप सभी को टिप्पणियों के लिए धन्यवाद.महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-29491923792487809322009-10-02T18:29:52.439+01:002009-10-02T18:29:52.439+01:00पीड़ा को भेडि़ये के माध्यम से
जज्बातों में पूरी ...पीड़ा को भेडि़ये के माध्यम से<br />जज्बातों में पूरी विद्रूपता के साथ<br />उकेर दिया है पंकज सुबीर ने।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-57163064986064126112009-10-02T15:25:20.164+01:002009-10-02T15:25:20.164+01:00सुबीर भाई,
इस कविता को कई बार पढ़ा. सटीक एवं सशक्त ...सुबीर भाई,<br />इस कविता को कई बार पढ़ा. सटीक एवं सशक्त रचना है.<br />बधाई.Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-72356010845703918902009-10-02T08:28:59.500+01:002009-10-02T08:28:59.500+01:00गुरु देव महावीर जी को सादर प्रणाम,
बचपन में हिंदी ...गुरु देव महावीर जी को सादर प्रणाम,<br />बचपन में हिंदी की कक्षा में भेडिये की एक कहानी पढ़ी थी मानस पटल पे अभी तो ताज़ी है उसी तरह से .. और आज गुरु जी की ये कविता जब पढ़ी तो लगा के कुछ भी तो नहीं बदला इस बदलते भारत में ,... अपने गुरु जी के बारे में कुछ भी कहूँ निशब्द हूँ... बस आप दोनों को सादर प्रणाम,<br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-78377397496685662452009-10-02T07:22:01.794+01:002009-10-02T07:22:01.794+01:00आदरणीय रंजना जी, रश्मि प्रभा जी, शार्दूला जी, समीर...आदरणीय रंजना जी, रश्मि प्रभा जी, शार्दूला जी, समीर जी, मुरारी जी, निर्मला जी, अभिनव जी, प्राण साहब, जाकिर भाई, अशोक जी, लावण्य दी, प्रकाश जी, दिगम्बर जी, द्विज जी आप सब का बहुत आभार । जितनी पीड़ा के साथ कविता लिखी थी उसी के साथ आप लोगों ने पसंद किया है । कविता सार्थक हो गई । आदरणीय महावीर जी का भी आभार मंच प्रदान करने के लिये ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-79309136094407315402009-10-01T04:53:47.842+01:002009-10-01T04:53:47.842+01:00समूचे विश्व के मेरे जैसे असंख्य पाठकों की भावनाओं ...समूचे विश्व के मेरे जैसे असंख्य पाठकों की भावनाओं का विरेचन करने में सक्षम इस कविता के लिए भाई पंकज सुबीर को और प्रस्तुति के लिए आदरणीय महावीर शर्मा जी को साधुवाद.द्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-83861628163573030852009-09-30T18:12:08.645+01:002009-09-30T18:12:08.645+01:00यथार्त को कागज़ पर उतार दिया है गुरु जी ने .........यथार्त को कागज़ पर उतार दिया है गुरु जी ने ........ लाजवाब लिखा है ........ उनकी लेखनी पर आलोचना करना सूरज को दीपक दिखाने वाली बात है .......... प्रणाम है मेरा उनकी कलम को ............दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-20917207227138340952009-09-30T16:53:40.430+01:002009-09-30T16:53:40.430+01:00भेडियों को अपने को शरीफ जताने के लिए राज घाट से बढ...भेडियों को अपने को शरीफ जताने के लिए राज घाट से बढ़िया जगह कहाँ मिल सकती है...आदरणीय महावीर जी का आभार !एक सशक्त अभिव्यक्ति को पढने का अवसर देने के लिए...प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-86136388101319349582009-09-30T14:33:09.057+01:002009-09-30T14:33:09.057+01:00भेडीया - वाकई में , बीभत्स रस का चित्रण करवाती सशक...भेडीया - वाकई में , बीभत्स रस का चित्रण करवाती सशक्त रचना है - <br />संत लक्षण एक यह भी है, उनके पास हर प्रकार के जीव आते हैं - <br />फिर भी वे अपनी सज्जनता का त्याग नहीं किया करते - <br />बापू भी " हे राम " कह कर प्रस्थान कर गए थे ...आज के नेता , की क्या बिसात ? <br />डॉलर की आंधी में सब कुछ उड़ रहा है ...<br />-- पंकज भाई को बधाई -- <br />आ. महावीर जी को सादर धन्यवाद ! <br />अब प्राण भाई साहब के रचना पढ़ती हूँ -- <br />फिर लिखूँगी -- <br />- विनीत ,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-44762474890139329512009-09-30T14:29:57.347+01:002009-09-30T14:29:57.347+01:00ek achchhi kavita ke liye mae subir jee ko badhai ...ek achchhi kavita ke liye mae subir jee ko badhai deta hoonashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-91845632109209222222009-09-30T11:20:28.517+01:002009-09-30T11:20:28.517+01:00जिंदगी को बेनकाब करती एक क्रूर किन्तु सच्ची कविता।...जिंदगी को बेनकाब करती एक क्रूर किन्तु सच्ची कविता।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-52205995622993717202009-09-30T10:46:11.443+01:002009-09-30T10:46:11.443+01:00BHAVABHVYAKTI SAJEEV AUR SUNDAR
HAI.KAVITA CHHANDM...BHAVABHVYAKTI SAJEEV AUR SUNDAR<br />HAI.KAVITA CHHANDMUKT HOTE BHEE<br />LAY SE BHARPOOR HAI.ACHCHHEE KAVITA<br />KE LIYE PANKAJ SUBEER JEE KO BADHAAEE.PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-15091046597958125572009-09-30T04:54:46.157+01:002009-09-30T04:54:46.157+01:00बहुत सटीक रचना है गुरुदेव..बहुत सटीक रचना है गुरुदेव..अभिनवhttps://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-23857004699852257522009-09-29T15:02:46.874+01:002009-09-29T15:02:46.874+01:00सो रही थी अहिंसा
मौन, नि:शब्द,
एक मुट्ठी फूल उछाल ...सो रही थी अहिंसा<br />मौन, नि:शब्द,<br />एक मुट्ठी फूल उछाल कर<br />कहा उसने<br />'सोए रहो चुपचाप,<br />यहीं इसी प्रकार<br />सोए रहो चुपचाप।'<br />शायद उस समय बापू की आत्मा भी ये सब देख कर यही सोच रही होगी इतनी सत्य बात कहने के लिये बहुत साहस और अन्त;दृष्टी की जरूरत होती है और इस बडी बात को शायद इतने सश्क्त शब्दों मे अय्र कोई नहीं कह सकता।<br />और <br /><br />और अंक्सर सारे बड़े पैर<br />सने होते हैं<br />लाल रंग में<br />नेताओं का सच इस से सटीक अब्भिव्यक्ति मे और किसी से शायद ही हुया होगा बहुत सुन्दर रचना है सुबीर जी को बहुत बहुत बधाई आपका भी धन्यवाद्<br /><br /><br />एक ऐसा यथार्थ जो ऐसे नेताओं पर सटीक बैठता हैनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-73671798638291722442009-09-29T15:01:00.234+01:002009-09-29T15:01:00.234+01:00behtrin tagdaa shabd jaal bhediye hi bhediye vicha...behtrin tagdaa shabd jaal bhediye hi bhediye vicharte hain aaj !!Murari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-51155705934880693562009-09-29T14:40:33.542+01:002009-09-29T14:40:33.542+01:00बहुत गहरी बात कह गये गुरु जी.
एक ऐसा यथार्थ जिसे ...बहुत गहरी बात कह गये गुरु जी.<br /><br />एक ऐसा यथार्थ जिसे महसूस तो सब करते हैं पर उसको शब्द चित्र में काढ़ना विरलों को ही आता है.<br /><br />शब्दों की ताकत ऐसी कि वाकई बारुदी गंध से नथूने भर गये.<br /><br />कैसे सोया होगा बापू अब तक वहाँ?<br /><br />एक बेहतरीन रचना!! बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-19472340429260246112009-09-29T14:40:17.665+01:002009-09-29T14:40:17.665+01:00"सोए रहो चुपचाप,
यहीं इसी प्रकार
सोए रहो चुपच..."सोए रहो चुपचाप,<br />यहीं इसी प्रकार<br />सोए रहो चुपचाप।"<br />... सुबीर जी, बहुत सशक्त और विचारोतेजक कविता है! <br />----<br />आदरणीय महावीर जी का आभार इसको हम सबके साथ बांटने के लिए. <br />सादरShardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-18964698806929004682009-09-29T14:22:18.227+01:002009-09-29T14:22:18.227+01:00waah pankaj ji ki kavita bahut hi achhi hai......s...waah pankaj ji ki kavita bahut hi achhi hai......satya kee bangi haiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-41712020221608107692009-09-29T13:46:17.106+01:002009-09-29T13:46:17.106+01:00वाह ! वाह ! वाह ! क्या बात कही...एकदम ही सटीक ...
...वाह ! वाह ! वाह ! क्या बात कही...एकदम ही सटीक ...<br /><br />यथार्थ का क्रूरतम अतिविद्रूप स्वरुप सार्थकता से दिखाती अतिसुन्दर इस कविता के लिए आपका बहुत बहुत आभार...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com