tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post7320128567244922498..comments2023-10-31T11:05:43.618+00:00Comments on महावीर: यू.के. के कवियों की रचनाओं की शृंखला में सोहन 'राही' की ग़ज़लें और गीतमहावीरhttp://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-41262108225205371442010-02-02T12:34:13.872+00:002010-02-02T12:34:13.872+00:00in teeno sundar rachnaon ko padvane ke liye mai aa...in teeno sundar rachnaon ko padvane ke liye mai aapka tatha Sohan Rahi jee ka aabhar prakat karta hoon ye rachnaen mun ko gehre chhu kar jeevan darshan ka ek nayaa sansar rach deti heinashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-92173408586102189462010-02-02T10:36:38.267+00:002010-02-02T10:36:38.267+00:00मन को मुग्ध करती हुईं अपने अप्रतिम रंगों की छाप छो...मन को मुग्ध करती हुईं अपने अप्रतिम रंगों की छाप छोडती तीनो ही रचनाएँ बेजोड़ हैं.... आनंद आ गया पढ़कर....आभार.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-80441149491262228612010-02-01T17:29:46.705+00:002010-02-01T17:29:46.705+00:00Sohan rahi jo padhna ek sukhad anubhav hai
gazal b...Sohan rahi jo padhna ek sukhad anubhav hai<br />gazal behad pur asar lagi, aagaaz se ant tak<br />एक शब मेरी तमन्नाएं भी थीं दुल्हन बनीं<br />हैं तआक़ुब में मिरे अब दर्द की शहनाइयाँ<br /><br />Daad ke saath ek sher shayar ki shaan mein<br /><br />न्याय भी चुपचाप होकर देखता, सुनता रहा<br />कटघरे में देती थी जब बेगुनाही इम्तिहाँDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-88298856290748235852010-02-01T12:35:26.384+00:002010-02-01T12:35:26.384+00:00पहली ग़ज़ल का जबरदस्त मतला काबिले-तारीफ़ है। बहुत खूब...पहली ग़ज़ल का जबरदस्त मतला काबिले-तारीफ़ है। बहुत खूब सर! और फिर ये शेर "है अपनी हथेली पे नई सुब्ह का सूरज/गो काली रवायत के मक़तल में खड़े हैं" तो उफ़्फ़्फ़!!!<br /><br />"ज़िंदगी है रौशनी के ताक़ पर परछाइयाँ" दूसरी ग़ज़ल का ये मिस्रा तो कातिलाना है सर जी...कातिलाना! और इस शेर पर "एक शब मेरी तमन्नाएं भी थीं दुल्हन बनीं/हैं तआक़ुब में मिरे अब दर्द की शहनाइयाँ" पर करोड़ों दाद!<br /><br />गीत भी बेहतरीन बन पड़ा है।<br /><br />महावीर जी, किंतु अपनी पुरानी शिकायत फिर से दोहराऊंगा कि एक साथ ये तीन-तीन रचनायें मत लगाया कीजिये...उलझन में पड़ जाते हैं हम जैसे पाठकगण।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-39554783895454279822010-02-01T02:23:32.046+00:002010-02-01T02:23:32.046+00:00बहुत अच्छा और जीवन का संदेश देने वाला गीत है । हर...बहुत अच्छा और जीवन का संदेश देने वाला गीत है । हर इक छंद बोलता हुआ है फिर चाहे जीवन के महायज्ञ का हो या रंग भेद वाला हो । गीत पढ़कर आनंद आ गया । दादा भाई अब आपका भी एक गीत हो जाए ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-38138288747292405422010-01-31T17:14:43.306+00:002010-01-31T17:14:43.306+00:00सोहन 'राही' जी की ग़ज़लें बयॉं हैं अपने आप...सोहन 'राही' जी की ग़ज़लें बयॉं हैं अपने आपमें कि अंदाज़-ए-बयॉं क्या होता है। हर शेर पूरी शिद्धत से अपनी बात कह रहा है। ग़ज़ल में जहॉं ड़ से बचने का प्रयास किया जाता है वहीं रदीफ में इसे निबाहना- कमाल ही है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-69126735138893682052010-01-31T15:09:40.157+00:002010-01-31T15:09:40.157+00:00दोनो गज़लें और गीत कमाल के हैं । राही साहिब को पढवा...दोनो गज़लें और गीत कमाल के हैं । राही साहिब को पढवाने के लिये धन्यवाद दिल को छूने वाली प्रस्तुतिनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-58989932457336714492010-01-31T14:42:35.575+00:002010-01-31T14:42:35.575+00:00ग़ज़ल क़ाबिले-तारीफ़ है।ग़ज़ल क़ाबिले-तारीफ़ है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-67794479457012509032010-01-31T09:42:49.002+00:002010-01-31T09:42:49.002+00:00aadarniy mahaveerji,
gazal aour geet. masha allah,...aadarniy mahaveerji,<br />gazal aour geet. masha allah, bahut hi bemisaal he.<br />है अपनी हथेली पे नई सुब्ह का सूरज<br />गो काली रवायत के मक़तल में खड़े हैं<br />waah. <br />लुट गए ऐसे मिरे ख़ाबों के दिलकश कारवां<br />अब मिरे चारों तरफ़ हैं चीख़ती तन्हाइयाँ<br />raahi ji ke she'ro me jabardast vazan he.aour geet apne aap me alag andaaz pesh kar rahaa he.अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-18675725634610165882010-01-31T05:54:11.134+00:002010-01-31T05:54:11.134+00:00दोनो ग़ज़लें और गीत कमाल के हैं ......... उस्तादों...दोनो ग़ज़लें और गीत कमाल के हैं ......... उस्तादों का कलाम पड़ने का कुछ और ही मज़ा होता है ...... और ये भूख आपके ब्लॉग पर आ कर ख़त्म हो जाती है .............दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-64008125668292655632010-01-31T05:17:16.581+00:002010-01-31T05:17:16.581+00:00श्रध्देय महावीर जी, सादर प्रणाम
दोनों ग़ज़लें और, पढ़...श्रध्देय महावीर जी, सादर प्रणाम<br />दोनों ग़ज़लें और, पढ़कर एकाएक कुछ कहने को भी शब्द नहीं मिल रहे..<br />राही साहब, मतला ही आगे नहीं बढ़ने दे रहा है<br />माज़ी की गुफाओं में जो टूटे से पड़े हैं<br />वह लम्हे तो अब भी मिरी आँखों में जड़े हैं<br />हर शेर शानदार, यादगार<br />मत देख मिरे प्यार को नफ़रत की नज़र से<br />माना की तिरे और तलबगार बड़े हैं<br />पूरा कलाम समाज के लिये पैग़ाम बन गया है<br />और खुद से यही कह रहा हूं<br />शाहिद, ये होती है शायरी<br />और ये होता है इंतख़ाबशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.com