tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post817225754948654451..comments2023-10-31T11:05:43.618+00:00Comments on महावीर: दो ग़ज़लें : दो रंगमहावीरhttp://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-25365295349566150652011-06-01T08:30:16.481+01:002011-06-01T08:30:16.481+01:00जिनकी खातिर छोड़कर पीना जीना सीखा था
छोड़ गए वो ही य...जिनकी खातिर छोड़कर पीना जीना सीखा था<br />छोड़ गए वो ही ये संसार, पीनी पड़ गयी <br /><br />राघवेन्द्र शास्त्रीRashhttps://www.blogger.com/profile/05935234004955981132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-56590677935735747252011-06-01T08:28:39.504+01:002011-06-01T08:28:39.504+01:00This comment has been removed by the author.Rashhttps://www.blogger.com/profile/05935234004955981132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-85860648457994396242009-04-27T16:40:00.000+01:002009-04-27T16:40:00.000+01:00महावीर शर्मा की ग़ज़लोँ मेँ हैँ
बहुत दि नशीँ ओर उत...महावीर शर्मा की ग़ज़लोँ मेँ हैँ<br />बहुत दि नशीँ ओर उत्तम विचार<br /><br />उन्हेँ देख कर चाहता है यह दिल<br />उन्हेँ यूँ ही पढते रहेँ बार बार<br /><br />अहमद अली बर्क़ी आज़मी<br />नई दिल्ली-110025Ahmad Ali Barqi Azmihttps://www.blogger.com/profile/11228201715441418433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-83483988270279533402009-04-23T09:22:00.000+01:002009-04-23T09:22:00.000+01:00mahavir ji
speechless
kis khoobsurti se aapne s...mahavir ji <br /><br />speechless<br /><br />kis khoobsurti se aapne shabd diye hai gazal ko..yakinan dil ke kariib<br /><br />ek behatriin gazal ke liye naachiiz ki taraf se dhero bandhaiiiनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-78286813050773778092009-04-13T15:27:00.000+01:002009-04-13T15:27:00.000+01:00Sir Bahut achchhi Gazalजाने क्यों मुझ को लगा कि चा...Sir Bahut achchhi Gazal<BR/><BR/>जाने क्यों मुझ को लगा कि चांदनी<BR/>तुझ बिना शमशीर सी होने लगी <BR/><BR/>Aap ki rachanao se mujhe kuchh sikhane ko milta hai ki kaise sabdo ka use kare, kaise bhavon ko shabdo me dhale...aapke margdarshan ki mujhe hamesha jarurat rahegi...<BR/>RegardsDevhttps://www.blogger.com/profile/07812679922792587696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-32315553778300172622009-04-13T13:34:00.000+01:002009-04-13T13:34:00.000+01:00आदरणीय महावीर जी , नमस्कार .दोनों गज़लें पढीं , मन...आदरणीय महावीर जी , नमस्कार .<BR/>दोनों गज़लें पढीं , <BR/>मन में कहीं गहरे असर छोड़ गईं .<BR/>pehli ग़ज़ल क mei ये शेर.....<BR/><BR/>"बेसबब जब वो हुआ मुझ से ख़फ़ा <BR/> ज़िन्दगी में हर कमी होने लगी..."<BR/>वाक़ई.... रवायती ग़ज़ल की बेहतर अक्कासी करता है ....<BR/>आप तो अदब-शनास , <BR/>आलिम-फ़ाज़िल शख्सियत हैं ,<BR/>आपकी तख्लीक़ात से गुज़रना अपने आप में एक तज्रबा होता है .....<BR/><BR/>दूसरी ग़ज़ल के लिए .....<BR/><BR/>"शिद्दते-ग़म , शिद्दते-हालात से घबरा गए ,<BR/> हादिसों से जब हुए दो-चार , पीनी पड़ गयी "<BR/><BR/>"देख कर उस हाथ में साग़र, नज़र में मस्तियाँ ,<BR/> कर लिया तौबा से भी इनकार , पीनी पड़ गयी "<BR/><BR/>"रास आने ही लगी हो जब खुमारी नाम की ,<BR/> जिंदगी में फिर तो बारम्बार पीनी पड़ गयी "<BR/><BR/>"खुशनुमा,पुर-कैफ हो महफिल 'महावीर' आपकी ,<BR/>क्यूं न हो 'मुफलिस'भला सरशार,पीनी पड़ गयी "<BR/><BR/>chaliye isi bahaane...aapki nek raah-numaaee ke zer-e-asar ek ghazal ho jaane ke imkaan ho gye haiN...<BR/><BR/>दुआओं और अक़ीदत के साथ. . . . .<BR/>---मुफलिस---daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-72193303119117146062009-04-12T13:42:00.000+01:002009-04-12T13:42:00.000+01:00Adarneeya Mahavirjiaapki donon gazal bemisaal hai....Adarneeya Mahavirji<BR/><BR/>aapki donon gazal bemisaal hai. <BR/><BR/>ज़ुल्फ़ की गहरी घटा की छाँव में<BR/>ज़िन्दगी में ताज़गी होने लगी<BR/>sach mein <BR/><BR/>धूप भी है, छाँव भी है जिंदगी<BR/>हर सफ,र में साया बनती ज़िंदगी<BR/><BR/>देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-8855772105907047092009-04-12T04:14:00.000+01:002009-04-12T04:14:00.000+01:00तो फिर सुनिए.............मेहमान.....कद्रदान..........तो फिर सुनिए.............मेहमान.....कद्रदान.......साहेबान.......निगहबान......खासो-आम..........ज़रा नोश फरमाए....इक ज़रा यह पान तो थूक लूं....वरना.......!!<BR/>था शुक्र मुझपे इतना कि खुशियों का हाय <BR/>कुछ ख़ुशी कम करने को पीनी पड़ गयी !!<BR/>पता नहीं क्यूँ ऊपर वाले ने भेजा मुझे यहाँ <BR/>जिन्दगी जीने की खातिर जीनी पड़ गयी !!<BR/>लानत है मुझपे कि वक्ते-हयात पिया न गया <BR/>जन्नत में खुदा के साथ को पीनी पड़ गयी !!<BR/>मैं अपने साथ लाया था कुछ सुख की शराब <BR/>ना चाहते हुए भी आदम को पीनी पड़ गयी !!<BR/>मैं अपनी कब्र पे बैठा सोचा किया "गाफिल"<BR/>ये कैसी जिन्दगी थी जो मुझे जीनी पड़ गयी !!<BR/>.............जनाब आगे से हमें ना उकसायियेगा..........अच्छा सलाम.....राम-राम.....!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-20965442291283893922009-04-11T07:36:00.001+01:002009-04-11T07:36:00.001+01:00दोनों गज़ले बहुत बढिया है।बधाई।दोनों गज़ले बहुत बढिया है।बधाई।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-55189862162415694662009-04-11T07:36:00.000+01:002009-04-11T07:36:00.000+01:00दोनों गज़ले बहुत बढिया है।बधाई।दोनों गज़ले बहुत बढिया है।बधाई।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-81947949005731472382009-04-11T06:57:00.000+01:002009-04-11T06:57:00.000+01:00क्षमा करें महावीर जी, काफी दिनों से आपके ब्लॉग पर ...क्षमा करें महावीर जी, काफी दिनों से आपके ब्लॉग पर न आ पाया। लेकिन जब आया तो इन तो ग़ज़लों ने मेरा मन हरा कर दिया। वाह वाह! किसी एक शेर की तारीफ करूँ तो कैसे सभी बेहतर और रसभरे हैं।Prakash Badalhttps://www.blogger.com/profile/04530642353450506019noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-49690336174624842962009-04-10T09:47:00.000+01:002009-04-10T09:47:00.000+01:00bahut sundar prastuti apko shukriabahut sundar prastuti apko shukriaHarshvardhanhttps://www.blogger.com/profile/03416011520058251827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-73503971352814877242009-04-10T04:10:00.000+01:002009-04-10T04:10:00.000+01:00आदरणीय महावीर जी प्रणाम...दो अलग रंगों की ग़ज़लें ...आदरणीय महावीर जी प्रणाम...दो अलग रंगों की ग़ज़लें पढ़ कर जो आनंद आया है उसे लफ्जों में कैसे बयां करूँ ये ही सोच रहा हूँ...आप की महफिल से मैं कभी खाली हाथ नहीं जाता हमेशा कोई न कोई नयी बात सीखने को मिलती है... शुक्रिया आपका...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-63075419709735807332009-04-10T03:55:00.000+01:002009-04-10T03:55:00.000+01:00बहुत डूब कर पढ़ी आपकी ये मतवाली गज़लटिपियाने जो हम ब...बहुत डूब कर पढ़ी आपकी ये मतवाली गज़ल<BR/>टिपियाने जो हम बैठे इस पार,पीनी पड़ गई.<BR/><BR/><BR/>--बहुत खूब, दोनों ही!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-59967804427939022282009-04-10T03:11:00.000+01:002009-04-10T03:11:00.000+01:00बहुत सुन्दर अशआर!बहुत सुन्दर अशआर!Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-12470866503955360722009-04-09T06:52:00.000+01:002009-04-09T06:52:00.000+01:00दोनों गजले अपने रंग में खूब जमी ..बहुत अच्छी लगी द...दोनों गजले अपने रंग में खूब जमी ..बहुत अच्छी लगी दोनों ..पढ़वाने का शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-4058880325003907182009-04-09T06:28:00.000+01:002009-04-09T06:28:00.000+01:00आप की दोनो ग़ज़ल पड़कर बहुत खुशी हुई / आप जो हिन्द...आप की दोनो ग़ज़ल पड़कर बहुत खुशी हुई / <BR/><BR/>आप जो हिन्दी मे टाइप करने केलिए कौनसी टूल यूज़ करते हे...? रीसेंट्ली मे यूज़र फ्रेंड्ली इंडियन लॅंग्वेज टाइपिंग टूल केलिए सर्च कर रहा ता, तो मूज़े मिला " क्विलपॅड " / आप भी " क्विलपॅड " यूज़ करते हे क्या...?<BR/>www.quillpad.inAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-46260767192244279442009-04-09T03:28:00.000+01:002009-04-09T03:28:00.000+01:00दोनों ग़ज़लें अति उत्तम- किसकी तारीफ करूँ.डबडबायी ...दोनों ग़ज़लें अति उत्तम- किसकी तारीफ करूँ.<BR/><BR/>डबडबायी आंखों से झांको नहीं<BR/>इस नदी में बाढ़ सी होने लगी<BR/><BR/>महावीर जी दोनों ग़ज़लें भिन्न रंग रूपता लिए हुए <BR/>एक-एक शे'र लाजवाब...<BR/>कुछ कह नहीं पा रही बस आभार ...Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-3141309021346118452009-04-09T03:27:00.000+01:002009-04-09T03:27:00.000+01:00"... धर्म-कर्म को छोड गया हूँ जात-पात को भूल गया ह..."... धर्म-कर्म को छोड गया हूँ <BR/>जात-पात को भूल गया हूँ <BR/>प्याला हाथ में उठा लिया हूँ <BR/>सब से हाथ मिला लिया हूँ <BR/><BR/>गोरे-काले की बात नही है <BR/>ऊँच-नीच का भेद नही है <BR/>जाम-से-जाम लडा रहा हूँ <BR/>पी-पी कर अब झूम रहा हूँ ...।"कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-41524460452374919552009-04-08T22:04:00.000+01:002009-04-08T22:04:00.000+01:00महावीर जी,वाह! आप तो महारथी हैं ग़ज़ल लिखने के। बहर...महावीर जी,<BR/><BR/>वाह! आप तो महारथी हैं ग़ज़ल लिखने के। बहर-वज़न-रदीफ़-क़ाफ़िया तो ख़ैर है ही, हर एक शेर इतना सुंदर और गहरा...<BR/><BR/>दूसरी गज़ल हुई तो शुरु हँसी हँसी में मगर हर शेर उम्दा...वाह!Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-62521739780995722632009-04-08T20:51:00.000+01:002009-04-08T20:51:00.000+01:00"जाने क्यों मुझ को लगा कि चांदनी/तुझ बिना शमशीर सी..."जाने क्यों मुझ को लगा कि चांदनी/तुझ बिना शमशीर सी होने लगी" और फिर "इश्क़ की तारीक़ गलियों में जहाँ/दिल जलाया, रौशनी होने लगी"<BR/>बेमिसाल शेर हैं गुरूवर...<BR/>और दूसरी ग़ज़ल तो बस उफ़....<BR/>तमाम तारिफ़ों से परे है, जाने किस-किस को पिलायेगी ये ग़ज़ल...<BR/>जाम से था वास्ता अपना न कोई दूर तक<BR/>ये ग़ज़ल तेरी सुनी तो यार पीनी पड़ गयीगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-55256127914809644192009-04-08T20:15:00.000+01:002009-04-08T20:15:00.000+01:00pahlee गजल bahur sundar lagee हम पीते नहीं इसलि...pahlee गजल bahur sundar lagee <BR/><BR/>हम पीते नहीं इसलिए doosree गजल के विषय में कुछ नहीं कह सकते <BR/><BR/>वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-6837666892862628542009-04-08T20:02:00.000+01:002009-04-08T20:02:00.000+01:00क्या कहेँ बहुत खूब !! आनँदम्` आदरणीय महावीर जी की ...क्या कहेँ बहुत खूब !! आनँदम्` आदरणीय महावीर जी की दोनोँ गज़लोँ का ऐसा असर हुआ <BR/>सोचते हम रह गये रुह ने हमारे आज आफताबे जाम मानोँ पी ली <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-71248468187590212072009-04-08T13:49:00.000+01:002009-04-08T13:49:00.000+01:00आँखें जब बात करती है, तो सब सुनते है । बोलता कोई न...आँखें जब बात करती है, तो सब सुनते है । बोलता कोई नही । वहां शब्दों की जरुरत नही । उन आंखों में गजब का आकर्षण होता है । कहानी ख़ुद ब ख़ुद बयां हो जाती है ....i came here first time...nice moment..mark raihttps://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6631399405570720310.post-85776435765275717672009-04-08T12:13:00.000+01:002009-04-08T12:13:00.000+01:00बेसबब जब वो हुआ मुझ से ख़फ़ा ज़िन्दगी में हर कमी हो...बेसबब जब वो हुआ मुझ से ख़फ़ा <BR/>ज़िन्दगी में हर कमी होने लगी<BR/>दोनों गज़लों का रंग जुदा अंदाज जुदा .......कौन से शेर की तारीफ करू और कौन से की नहीं कशमश में हु ......सभी की अपनी बात है अपनी ही अदा है......आभार <BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com