द्विजेन्द्र 'द्विज' की ग़ज़ल से पहले उनके स्वर्गीय पिता प्रख्यात लेखक श्री सागर 'पालमपुरी' जी के निम्न शब्दों में नए साल का पैग़ाम पढ़िएः
बुलन्द आपका और इक़बाल हो
मेरे हमदमो ! ऐ मेरे दोस्तो!
मुबारक तुम्हें यह नया साल हो.
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द्विजेन्द्र 'द्विज' की नए साल पर ग़ज़लः
ज़िन्दगी हो सुहानी नये साल में
दिल में हो शादमानी नये साल में
सब के आँगन में अबके महकने लगे
दिन को भी रात-रानी नये साल में
ले उड़े इस जहाँ से धुआँ और घुटन
इक हवा ज़ाफ़रानी नये साल में
इस जहाँ से मिटे हर निशाँ झूठ का
सच की हो पासबानी नये साल में
है दुआ अबके ख़ुद को न दोहरा सके
नफ़रतों की कहानी नये साल में
बह न पाए फिर इन्सानियत का लहू
हो यही मेहरबानी नये साल में
राजधानी में जितने हैं चिकने घड़े
काश हों पानी-पानी नये साल में
वक़्त! ठहरे हुए आँसुओं को भी तू
बख़्शना कुछ रवानी नये साल में
ख़ुशनुमा मरहलों से गुज़रती रहे
दोस्तों की कहानी नये साल में
हैं मुहब्बत के नग़्मे जो हारे हुए
दे उन्हें कामरानी नये साल में
अब के हर एक भूखे को रोटी मिले
और प्यासे को पानी नये साल में
काश खाने लगे ख़ौफ़ इन्सान से
ख़ौफ़ की हुक्मरानी नये साल में
देख तू भी कभी इस ज़मीं की तरफ़
ऐ नज़र आसमानी ! नये साल में
कोशिशें कर, दुआ कर कि ज़िन्दा रहे
द्विज ! तेरी हक़-बयानी नये साल में.
द्विजेन्द्र द्विज
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सतपाल ख्याल की नए साल पर ग़ज़लः
जश्न है हर सू , साल नया है
हम भी देखें क्या बदला है.
गैर के घर की रौनक है वो
अब वो मेरा क्या लगता है.
दुनिया पीछे दिलबर आगे
मन दुविधा मे सोच रहा है.
तख्ती पे 'क' 'ख' लिखता वो-
बचपन पीछे छूट गया है.
नाती-पोतों ने जिद की तो
अम्मा का संदूक खुला है.
याद ख्याल आई फिर उसकी
आँख से फिर आँसू टपका है.
दहशत के लम्हात समटे
आठ गया अब नौ आता है.
सतपाल 'ख्याल'
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9 comments:
जश्न है हर सू , साल नया है
हम भी देखें क्या बदला है.
"खुबसुरत भावनाओ उमंगो से भरी गज़लों को यहाँ पढवाने के लिए आभार..."
regards
Shukria mahavir ji.
saadar
khyaal
ब्लॉगर में आपका हार्दिक स्वागत है।
महावीर भाई आप का आभार आप ने इन कवि मोहदय की सुंदर सुंदर कविता हम तक पहुचाई. ओर द्विजेन्द्र द्विज,सतपाल 'ख्याल' जी का धन्यवाद जिन्होने इतनी सुंदर कविता लिखी.
दोनो कविता बहुत ही अच्छी लगी.
GURU AUR SHISHYA DWIJ AUR SATPAL
DONO KO EK SAATH AAPKE BLOG PAR
DEKH KAR BAHUT ACHCHHA LAGAA HAI.
NAYE SAAL PAR KAHEE UNKEE GAZLON
NE DIL LOOT LIYAA HAI.
दो खूबसूरत ग़ज़लें और नया साल खुशगवार हो उठा
अब इन दो गुरू-शिष्य की गज़लो पे कुछ कहना दो चमकते सूर्यों को एक साथ दीये दिखाने जैसा है
....
दो बेहतरीन ग़ज़लों के साथ नए साल की
अच्छी शुरुआत कराने का शुक्रिया .
सादर
आदरणीय़ महावीर जी सर ,
दोनों गज़लें लाजवाब है पहली गज़ल का हर शेर बेहतरीन है और वाह स्वयं निकलती है ,
और दुसरी गज़ल भी लाजवाब है ।
सादर
हेम ज्योत्स्ना "दीप"
(सर आप बहुत दिनों से मेरे ब्लोग पर नहीं आये । अन्तिम टिप्पणी आपकी जुन २००७ की है और उसके बाद नये साल पर , नये साल पर आप हमारे कुछ लम्हो पर आर्शीवाद देगें यही उम्मीद हैं)
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