दिव्या माथुर के लेखन में प्रवासी जीवन के जीवंत चित्र
- पवन शर्मा
(साभार: 'अक्षरम्')
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के महानिदेशक एवं प्रसिद्ध लेखक पवन वर्मा ने ब्रिटेन की प्रसिद्ध कहानीकार दिव्या माथुर की पुस्तक ‘पंगा तथा अन्य कहानियाँ’ का लोकापर्ण करते हुए कहा कि दिव्या माथुर की कहानियों की विशेषता यह है कि वे इनमें भागीदार भी है और दृष्टा भी। इन कहानियों में प्रवासी जीवन के जीवंत चित्र हैं। लोकापर्ण समारोह का आयोजन अक्षरम द्वारा साहित्य अकादमी सभागार मे 23 फरवरी 2009 को किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गंगा प्रसाद विमल ने की। समकालीन साहित्य के संपादक ब्रिजेन्द्र त्रिपाठी, असगर वज़ाहत और अनिल जोशी ने वक्ता के रूप में पुस्तक के संबंध मे अपने विचार रखे। डॉ हरजेन्द्र चौधरी ने पुस्तक पर आलेख पढ़ा और अलका सिन्हा ने कहानी पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन चैतन्य प्रकाश ने किया।
इस अवसर पर बोलते हुर असगर वज़ाहत ने कहा कि दिव्या माथुर की कहानियाँ काल, पात्र और स्थितियों से उपर उठती हैं, वे एक विचार को केन्द्र मे रखती हैं। डॉ गंगा प्रसाद विमल ने कहा कि उनके लेखन में भारतीय दृष्टि है। उन्होने इस संबंध मे दिव्या माथुर की कहानी ‘अंतिम तीन दिन’ का हवाला दिया। विमल जी ने प्रवासी साहित्य को मुख्य धारा में जोड़ने की कोशिशों की प्रशंसा की। ब्रिजेन्द्र त्रिपाठी ने मुख्य धारा के साहित्य मे प्रवासी साहित्य को जोड़ने के प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अब सभी प्रमुख पत्रिकाएं प्रवासी साहित्य विशेषांक निकाल रही हैं। उन्होंने इस दृष्टि से अक्षरम के आयोजनों और प्रकाशनों के योगदान की भी सराहना की। अनिल जोशी ने कहा कि दिव्या माथुर की कहानियां प्रवासी जीवन का प्रमाणिक दस्तावेज हैं, उनमें भरपूर रेंज है, वे ब्रिटेन के भारतीयों के संघर्ष की कहानी हैं। डॉ हरजेन्द्र चौधरी ने अपने विद्वतापूर्ण आलेख मे दिव्या माथुर की पुस्तक की विशद समीक्षा की और उनकी कहानियों से उद्धरण देते हुए उनकी कहानियों के कथ्य, शिल्प और भाषा की विशेषताओं को रेखांकित किया। उन्होंने इस संग्रह को प्रवासी साहित्य की महत्वपूर्ण कृति बताया। अलका सिन्हा के कहानी पाठ ने तो वातावरण को जीवंत ही कर दिया। इस अवसर पर पुस्तक के प्रकाशक मेधा पाकेट बुक्स के अजय मोंगा भी उपस्थित थे। ****************************
11 comments:
माननिया दिव्या माथुर जी की पुस्तक ‘पंगा तथा अन्य कहानियाँ’ का लोकापर्ण के विषय मे आपके आलेख द्वारा जानकारी प्राप्त कर बहुत सुखद लगा.
बहुत धन्यवाद आपको.
रामराम.
divya mathur ki pustak ke baare me aapne bahut hi acchi jaankaari di hai.
aap kabhi haamare blog par aayiye,aapka swagat hai-
हिन्दी साहित्य .....प्रयोग की दृष्टि से
आदरणीय महावीर जी
सादर चरण स्पर्श
नीरज जी के ब्लाग पर अपने संदर्भ में आपकी टिप्पणी पढ़कर अभिभूत हूं । शब्दों में उस भावना को व्यक्त नहीं कर सकता जो मेंरे दिल में है । आप जैसे अग्रजों का आशीष मिल जाये तो दुनिया के सारे पुरुस्कार उसके आगे छोटे हो जाते हैं । आपका मेल पता नहीं मिला तो यहां कमेंट में ही भावनाएं व्यक्त कर रहा हूं । आशा है आपका आशिर्वाद बना रहेगा ।
आपका ही सुबीर
आदरणीय महावीर जी सादर प्रणाम ,
माननीय दिव्या माथुर जी को उनकी पुस्तक के विमोचन के लिए ढेरो बधाई और इतनी अछि जानकारी के लिए आपका आभार...
अपनी नई ग़ज़ल पे आपका आशीर्वाद चाहता हूँ इसलिए नेवता देने चला आये और यहाँ पुस्तक के विमोचन में शामिल हो गया अहो भाग्य मेरा...
अर्श
महा वीर जी, इस पुस्तन के तो हम सब की बाते ही लिखी हो होंगी, बहुत रोचक लगेगी जब इसे पढूंगा, सच मै अगर हम सब अपनी अपनी जिन्दगी के बारे लिखे तो.....
पंगा तथा अन्य कहानियाँ के विमोचन पर आप सब को बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद इस जानकारी के लिये
CHARCHIT KAHANIKAAR KE SADHYA
PRAKASHIT KAHANISANGARAH "PANGA"
KE LOKARPAN KAA VIVRAN PADHKAR
BAHUT HEE ACHCHHA LAGAA HAI."PANGA"
KAHANI MAIN PADH CHUKA HOON.BADEE
SASHAKT HAI.
महावीर जी प्रणाम,
आपके सुन्दर लेख द्वारा माननीय दिव्या माथुर जी को उनकी पुस्तक के विमोचन के लिए ढेरो बधाई और इतनी अछि जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया......
धन्यवाद महावीरजी, दिव्यामाथुर की इस पुस्तक समीक्षा के वत्तांत से परिचय कराने का।
आपका ब्लाग कुछ गिने चुने श्रेष्ठ ब्लागों में से एक है।
दिव्या जी को बधाई...! कहानियाँ पढ़ने की पूरी कोशिश करूँगी।
दिव्या जी को नई पुस्तक के लिये शुभकामनाएँ!
दिव्या माथुर की कहानिया अमिट छाप छोड़ती रही है । इस बार भी उम्मीद है कि उनकी पुस्तक लोगो के दिल पर जरूर राज करेगी । उनके लेखन में भारतीय सोच रही है इसलिए उनकी पुस्तके भारतीय जनमानस को भी अपनी और लुभाती रही है । जानकारी भेजने के लिए शुक्रिया
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