Monday 10 August 2009

स्वतंत्रता-दिवस पर चन्द्र शेखर 'आजाद' , नेता जी सुभाष चन्द्र बोस और जाँ निसार 'अख़्तर' की रचनाएं

आप सभी को स्वतंत्रता-दिवस की शुभकामनायें!
वन्दे मातरम्!

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चन्द्रशेखर 'आज़ाद' के चंद शेर:

हम दिखाएँगे तुम्हें वो कुव्व्ते फरियाद की
बैसदा होगी नहीं ज़ंजीर है 'आज़ाद' की

कौन कहता है कि मेरा रायगाँ खूँ जाएगा
मरनेवालों में जब एक दुनिया नई आबाद की

किस तरह से जान देते हैं वतन के वास्ते
किस तरह से जंग करते हैं वतन के वास्ते

फ़क़त दुनिया में तुम्हें थे यह बताने आये हम
खुश रहो अहले वतन चलते हैं - वन्देमातरम
चन्द्रशेखर 'आज़ाद'
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वही शाहे शहीदन है, वही है रौनके आलम
वतन पर दे के जो जाँ जंग के मैदां में सोता है.
उसी का नाम रोशन है उसी का नाम बाकी है
कि जिसकी मौत पर दुनिया का हर इंसान रोता है.
ज़रा बेदार हो अब ख़्वाबे ग़फ़लत से जवानो तुम
कि जिसमें ज़ोरे बाज़ू है, वही आज़ाद होता है.

यही दुनिया से अब इस सूरमा की रूह कहती है

ग़रीबों को मिले रोटी तो मेरी जान सस्ती है.
चन्द्र शेखर 'आज़ाद'
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नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की कविता: (1930)

जीवन धारा
जितना अधिक त्याग करेंगे
हम जीवन का
उतने ही वेग से प्रवाहित होगी
जीवनधारा
जीवन चलेगा तब अंतहीन
बहुत कुछ है कहने के लिए
और.... जीवन-शक्ति है भरपूर मुझ में
बहुत सी खुशियाँ हैं यहाँ
बहुत सी हैं अभिलाषाएं
इन सब से परिपूर्ण मात्र है
जीवनधारा....
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जाँ निसार 'अख़्तर' की एक नज़्म:
आवाज़ दो हम एक हैं...

एक है अपना जहाँ, एक है अपना वतन
अपने सभी सुख एक हैं, अपने सभी ग़म एक हैं
आवाज़ दो हम एक हैं.

ये वक़्त खोने का नहीं, ये वक़्त सोने का नहीं
जागो वतन खतरे में है, सारा चमन खतरे में है
फूलों के चेहरे ज़र्द हैं, ज़ुल्फ़ें फ़ज़ा की गर्द हैं
उमड़ा हुआ तूफ़ान है, नरगे में हिन्दोस्तान है
दुश्मन से नफ़रत फ़र्ज़ है, घर की हिफ़ाज़त फ़र्ज़ है
बेदार हो, बेदार हो, आमादा--पैकार हो (पैकार=जंग, युद्ध)
आवाज़ दो हम एक हैं.

ये है हिमालय की ज़मीं, ताजो-अजंता की ज़मीं
संगम हमारी आन है, चित्तौड़ अपनी शान है
गुलमर्ग का महका चमन, जमना का तट गोकुल का मन
गंगा के धारे अपने हैं, ये सब हमारे अपने हैं
कह दो कोई दुश्मन नज़र उट्ठे भूले से इधर
कह दो कि हम बेदार हैं, कह दो कि हम तैयार हैं
आवाज़ दो हम एक हैं

उट्ठो जवानाने वतन, बांधे हुए सर से क़फ़न
उट्ठो दकन की ओर से, गंगो-जमन की ओर से
पंजाब के दिल से उठो, सतलज के साहिल से उठो
महाराष्ट्र की ख़ाक से, देहली की अर्ज़े-पाक* से (*पवित्र भूमि)
बंगाल से, गुजरात से, कश्मीर के बागात से
नेफ़ा से, राजस्थान से, कुल ख़ाके-हिन्दोस्तान से
आवाज़ दो हम एक हैं!
आवाज़ दो हम एक हैं!!
आवाज़ दो हम एक हैं!!!
जाँ निसार 'अख़्तर

'

१४ अगस्त २००९
'महावीर' ब्लॉग की ओर से जन्माष्टमी के पवित्र पर्व पर आप सभी को शुभकामनाएं.

जन्म-जन्म जन्माष्टमी, मना सकूँ हे नाथ.
कृष्ण भक्त को नमन कर, मैं हो सकूँ सनाथ.
वृन्दावन की रेणु पा, हो पाऊँ मैं धन्य.
वेणु बना लो तो नहीं मुझ सा कोई अन्य.
जो जन तेरा नाम ले, उसको करे प्रणाम.
चाकर तेरा है 'सलिल', रस शिरोमणि श्याम..
आचार्य संजीव 'सलिल'


अगला अंक: 17 अगस्त 2009
महावीर शर्मा
की ग़ज़ल और कविता

17 comments:

दिगम्बर नासवा said...

सभी को स्वतंत्रता-दिवस की शुभकामनायें, लाजवाब नज़्म के साथ लाजवाब शुरुआत स्वतंत्रता के पर्व की.........

PRAN SHARMA said...

15 AUGUST KEE SAB BHAI BAHNON KO
BADHAAEEAN AUR SHUBH KAMNAYEN.
MAHAVIR JEE,15 AUGUST KE SHUBH
PARV PAR NETA JEE SUBHASH CHANDRA
BOSE,CHANRRA SHEKHAR "AZAD" DONO
KE NAAMON SE LAGAA " CHANDRA" KA
PRAKASH KITNA SUHAAVNA LAG RAHAA HAI.INKEE KAVITAAYEN PADH KAR MUN
MEIN AUJ PAEDA HO GAYAA HAI.
JAAN NIISAR " AKHTAR" KEE
KAALJAYEE KAVITA" AWAZ DO HUM EK HAIN" KAA MAHATTAV HAI.ISKEE GOONJ
GHAR-GHAR TAK PAHUNCHNEE CHAHIYE.
AAO,HUM UN SABHEE KO YAAD
KAREN JO DESH KEE AZADEE KEE LIYE
APNE-APNE KHOON KEE EK BOOND BHEE
DE GAYE HAIN.

कंचन सिंह चौहान said...

desh ke liye qurbaan hone walo ki ghazale laga kar ham logo ko kritagya kiya hai aap ne

ashok andrey said...

PRIY BHAI MAHAVEER JEE IN KAVITAON KO JAB BHI PADAA HEI YA SUNA HEI MAN ME HAR BAAR EK NAE JOSH KO SANCHARIT KIYA HEI ISKE LIYE MAI AAPKO DHANYAWAD DETA HOON VAKEI DESH SABSE UPPER HEI YEH HEI TO HAM HEIN

ASHOK ANDREY

गौतम राजऋषि said...

महावीर जी इन दुर्लभ रचनाओं को पढ़वाने के लिये हम तो आपके ऋणि हो गये...विशेष कर आजाद और सुभाष चंद्र की कविताओं के लिये\
और जानिसार साब की ये कृति तो एक जमाने से कंठाग्र है...रफ़ी साब ने क्या गाया है इसे।

स्वतंत्रता दिवस की आपको भी स्मस्त शुभकामनायें।

रूपसिंह चन्देल said...

आदरणीय शर्मा जी,

महावीर में आजाद, नेताजी और अख्तर की रचनाएं प्रकाशित करके आपने श्लाघनीय कार्य किया है . इसके लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

चन्देल

निर्मला कपिला said...

चन्द्र शेखर आज़ाद और सुभाष चन्द्र बोस जी की रचनायें अद्भुत हैण इन शहीदों को मेरी विनम्र श्रद्धाँजली जाँनिस्सार जी के लिये कुछ भी कहना मेरी कलम के लिये सूरज को दीप दिखाना है लाजवाब रफी जी की आवाज़ तो हमेशा ही दोल को छूती है धन्यवाद जो आपने इन दुर्लभ रचनायों को हमे पढवाया

Arshia Ali said...

बहुत बहुत आभार.
{ Treasurer-T & S }

Dr. Ghulam Murtaza Shareef said...

स्वतत्रता दिवस समस्त हिंदी परिवार को मुबारक हो

डॉ. गुलाम मुर्तजा शरीफ

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

१५ अगस्त भारतीय आज़ादी के पर्व की सभी भाई , बहनों को बधाई -- याद रहे , ये स्वतंत्रता , अनगिनत जांबाज , भारतीय खून की कुर्बानी के बाद हमें हासिल हुई है - मंथन पर , आपने चन्द्र शेखर 'आज़ाद', नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, जाँ निसार 'अख़्तर' की रचनाएँ देकर , न सिर्फ इन जी रचनाओं से हमारा सुवर्णमय अतीत याद करवाया है , हमें , श्रधा सुमन चढाने का ये अवसर भी दिया है - आपका भी आभार ,
सादर, स - स्नेह,
- लावण्या

प्रकाश पाखी said...

आदरणीय महावीर साहब,
सादर प्रणाम,
स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर आजाद और नेताजी सुभाष चन्द्र जैसे महानायकों की कविताओं से परिचित करा के आपने हम जैसों पर अहसान किया है....
और जनाब जाँनिसार अख्तर साहब का गीत तो कई बार गाया है और हजारों बार रफी जी की आवाज में सुना है...
आज सुनकर फिर रोमांचित हो गया..
आभार!
प्रकाश पाखी

प्रकाश पाखी said...

पुनश्च...
सभी लोगों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..!

Devi Nangrani said...

आदरनीय महावीर जी
स्वतंत्र दिवस की शुभ्कमानों के साथ साथ आपका आभार जो हमें चन्द्रशेखर 'आज़ाद' , नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, और जाँ निसार 'अख़्तर' की रचनाएं पड़ने का यह अवसर प्रदान किया. देश भक्ति के अणू कूट कूट कर बहरे हुए है और देश भक्ति का एक अनोखा उन्माद भी शामिल है. ऐसी प्रेणादायक रचंयें हमारे देश और देशवासियों की विरासत है जो उन तक पहुंचनी ही चाहिए. आपका प्रयास इसको अंजाम देने में अपना कदम बड़ा रहा है

देवी नागरानी

vijay kumar sappatti said...

aadarniy mahaveer ji , aapko aur aapke pariwaar ko aur samast paathako ko bhi aazaadi ki shubkaamnaye..

aazadi ke in geeto ne to josh bharne ka kaam kiya hai .. aapkya ye prayaas nisandeh roop se prernadaayak hai ..

mera pranaam sweekar karen..


namaskar.

vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

आदरणीय महावीर जी,
इन दुर्लभ रचनाओं को पढ़वाने के लिये आभार....

Vinay said...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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Randhir Singh Suman said...

nice