Friday 25 December 2009

यू. के. से डॉ. गौतम सचदेव की दो ग़ज़लें

ग़ज़ल

डॉ. गौतम सचदेव


आ ज़रा मंज़िल बदल लें
दो क़दम ही साथ चल लें


छोड़ दें अंदर अँधेरे
आ ज़रा बाहर निकल लें


फिर कहेंगे या सुनेंगे
बस अभी चुपचाप चल लें


दुख हुआ अपना पुराना
आ नये दुख में बदल लें


टूटते पत्थर तलक भी
हम अभी थोड़ा पिघल लें


रास्ते तो सब कठिन हैं
जो चलें वे कर सरल लें


जब थकें तो बैठ जायें
जब गिरें उठकर सँभल लें


छोड़ काँटे और कीचड़
फूल ले लें या कमल लें


क्यों करें आगा व पीछा
फ़ैसला करके निकल लें


कम मिला तो कम सही है
ख़्वाब के हम क्यों महल लें


दिल न दबकर सूख जायें
संग चलकर हो तरल लें


हो गई बासी उदासी
ताज़गी लेकर मचल लें


प्यास यह सबकी बुझाये
घूँट इक मेरी ग़ज़ल लें
************************************

ग़ज़ल

डॉ. गौतम सचदेव


चाँदनी मुस्कान-सी फैली हुई है
रोज़ रातों में बिछी मैली हुई है


दे रही उत्तर बिना पूछे सभी को
मुँह दिखाने की नई शैली हुई है


आदमी के पास यह कमसिन गई थी
लुट गई या और मटमैली हुई है


रूप को गंदा करेंगी ये निगाहें
वे समझती हैं खुली थैली हुई है


चाहिये दिल साफ़ हो 'गौतम' हमारा
देह का क्या वह अगर मैली हुई है ।

***************************

-:नव वर्ष अभिनन्दन:-
बृहस्पतिवार ३१ दिसंबर २००९ को 'महावीर' ब्लॉग पर कवि सम्मलेन

कवि सम्मलेन में भाग ले रहे हैं:
प्राण शर्मा, लावण्या , पंकज सुबीर, सोहन 'राही', समीर लाल 'समीर', स्वपन मंजुषा शैल 'अदा', पुष्पा भार्गव, राकेश खंडेलवाल, डॉ. अहमद अली 'बर्क़ी' आज़मी, डी. के. 'मुफलिस', तेजेंद्र शर्मा, सीमा गुप्ता, आचार्य संजीव 'सलिल', अशोक आंद्रे, डॉ. ग़ुलाम मुर्तज़ा शरीफ़, देवी नागरानी, डॉ. गौतम सचदेव, विजय सपत्ति, कवि कुलवंत सिंह, महावीर शर्मा, तिलक राज कपूर 'राही ग्वालियरी, प्रकाश सिंह 'अर्श', योगेन्द्र मौदगिल


21 comments:

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी ग़ज़लें। क्रिसमस पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।

कडुवासच said...

छोड़ दें अंदर अँधेरे
आ ज़रा बाहर निकल लें

फिर कहेंगे या सुनेंगे
बस अभी चुपचाप चल लें
...

दे रही उत्तर बिना पूछे सभी को
मुँह दिखाने की नई शैली हुई है
.... लाजबाव शेर, दोनों ही गजलें बेमिसाल !!!

PRAN SHARMA said...

Dr.Gautam Sachdev Hindi ke prasiddh
sahityakar hain.Sahitya kee har
vidha mein unkee qalam bkhoobee
chaltee hai.Unkee dono gazaen achchhee hain.Aese ashaar koee
ustaad shaayar hee kah sakta hai-
DUKH HUA APNA PURANA
AA NAYE DUKH MEIN BAHAL LEN
------------
HO GAYEE BAASEE UDAASEE
TAAZGEE LEKAR MACHAL LEN
-------------
CHAAHIYE,DIL SAAF HO
" GAUTAM HAMAARAA
DEH KAA KYA VAH AGAR
MAILEE HUEE HAI

Reetesh Gupta said...

कम मिला तो कम सही है
ख़्वाब के हम क्यों महल लें

बहुत सुंदर भाव...अच्छा लगा ....बधाई

Divya Narmada said...

man ko chhootee gazalen. sadhuvaad.

तिलक राज कपूर said...

फिर कहेंगे या सुनेंगे
बस अभी चुपचाप चल लें

चुप रहने की कला अगर इन्‍सान सीख ले तो फिर बात ही क्‍या है।
'इन्‍सॉं जब चुपचाप रहेगा
सन्‍नाटा हर बात कहेगा।'


चाहिये दिल साफ़ हो 'गौतम' हमारा
देह का क्या वह अगर मैली हुई है ।
क्‍या बात है साहब, काश सभी देह से उपर आत्‍मा को रखते।
साधुवाद
तिलक राज कपूर

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

शानदार, दोनों ग़ज़लें साहित्यिक दस्तावेज हैं
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

ashok andrey said...

Dr Goutam jee kee dono gajle padeen bahut sundar man ko chhu gayee-
aadmee ke paas yeh kamsin gaee thee
lut gaee ya aur matmailee huee hai
badhee

ashok andrey

ashok andrey said...
This comment has been removed by the author.
निर्मला कपिला said...

मैं उस शख्शियत के बारे मे क्या कहूँ गज़ल मे अभी श्री प्राण शर्मा भाई सहिब से ए बी सी सीख रही हूँ । और जब वो कह रहे हैं तो निशब्द हूँ । श्री गौतम सचदेव जी को इन उम्दा गज़लों के लिये बधाई और आपका धन्यवाद। नये साल की आपको बहुत बहुत बधाई

kavi kulwant said...

bahut Khoob..
guatam ji ko padhane ka saubhagya prapt hua..

daanish said...

क्यों करें आगा व पीछा
फ़ैसला करके निकल लें

फिर कहेंगे या सुनेंगे
बस अभी चुपचाप चल लें

जब थकें तो बैठ जायें
जब गिरें उठकर सँभल लें

चाहिये दिल साफ़ हो 'गौतम' हमारा
देह का क्या वह अगर मैली हुई है ।


aise nyaare ash`aar kehne wale
umdaa shayar ko salaam ...
kitne aasaan aur apne-se lagne wale alfaaz meiN kitni gehri baateiN keh daali haiN...WAAH !!

दिगम्बर नासवा said...

एक से बढ़ कर एक लाजवाब शेरों का गुलदस्ता ......... डॉक्टर गौतम की ग़ज़लों ने समा बाँध लिया ...........

Murari Pareek said...

किस किस अल्फाज की तारीफ़ करे यहाँ तो हर शब्द एक हीरा है!!!

रविकांत पाण्डेय said...

दोनों ही गज़लें प्यारी हैं। डा. गौतम सचदेव ने एक से एक नायाब शेर गढ़े हैं, पढ़कर आनंद आ गया। ३१ की कवि सम्मेलन का इंतज़ार रहेगा।

vandana gupta said...

bahut hi sundar bhavbhari gazalein.

haidabadi said...

जनाब गौतम सचदेवा साहिब की ग़ज़लें
देखी लुत्फ़ अन्दोज़ हो गया ग़ज़ल को
हिंदी शब्दों का लिबास पहना कर ख़ूब से ख़ूब सूरत
कर दिया यह फन है या कमाल है
तेरी कलम का ही जमाल है
महावीर साहिब और क़िबला प्राण साहिब
आपने जो शम्मा रोशन की है उज्जालों
के लिए जगमगाती रहे
नया साल कुछ ऐसा आये
हर घर मैं खुशियाँ ले आये

चाँद शुक्ला हदियाबादी
डेनमार्क

Devi Nangrani said...

Gautam ji ke ashyaar padna ek class mein dakhil hone ke samman hai, bahut hi gahraiyon se gunjan karte hue...

Devi Nangrani

kavi kulwant said...

इतने सारे विद्व कवियों को एक साथ वह भी नव वर्ष पर पढ़कर बहुत अच्छा लगा...

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

नववर्ष पर इतने सारे रचनाकारों को एक साथ पढने को मिला. मन प्रफुल्लित हो गया.

बधाई एवं शुभकामनाओं सहित

- सुलभ

रंजना said...

WAAH !!!! ADBHUD !!!! ADBHUD !!!! ADBHUD !!!!

ISKE AAGE AUR KYA KAHUN......