Friday 16 October 2009

दीपावली-उत्सव

'महावीर' और 'मंथन' की टीम की ओर से दीपावली के शुभ अवसर पर

आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं

diwali lamps



आज दीपावली का उत्सव स्व. महाकवि पंडित नरेंद्र शर्मा की इन पंक्तियों से आरम्भ करते हैं:

शुभकामना
" सुख सुहाग की दीव्य ज्योति से , घर आँगन मुस्काये
ज्योति चरण घर कर दीवाली , घर आँगन नित आये "
......
लावण्या जी के सौजन्य से उनके पिताश्री स्व. पंडित नरेंद्र शर्मा के अप्रकाशित संकलन "बिंदु" से कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं:
दीपक ( अप्रकाशित )

" दीपक दीपक , जले अँधेरा
काजल बन कर पले अँधेरा
निगले उगले , जिसको दीपक
है दीपक के तले अँधेरा "
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उषा राजे सक्सेना, यू.के.

दिए सा वो माना जलता रहा है
मगर आँधियों में संभलता रहा है
जला साथ सबके वो जीवन में वर्ना
अकेला ही सब ओर चलता रहा है
कभी तो बदल जायेगी इसकी किस्मत
इसी आस में दीप जलता रहा है
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डॉ. सुधा ओम ढींगरा, यू.एस..

मैं दीप बाँटती हूँ.....
इनमें तेल है मुहब्बत का
बाती है प्यार की
और लौ है प्रेम की
रौशन करती है जो
हर अंधियारे
हृदय ' मस्तिष्क को.
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लावण्या शाह, यू.एस.

जय किसान
" सबके आँगन आयी दिवाली, मेरे आँगन बैल किसान
घर-द्वार गली, झिलमिल, जले मेरा नन्हा दिया महान
धूम धडाका बाजे पटाखा , रून झुन है, बैलों का हार ,
नभ सर्वस्व तारा गण मंडित , वही रवि बिखेरे चहूँ ओर प्रकाश ............"
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देवी नागरानी, यू.एस.

बड़ी खुशनुमा याद की ताज़गी है
वो मुरझाए फूलों को फिर से खिलाए
दिवाली का त्यौहार सब को मुबारक
ये त्यौहार ख़ुशियों का हर साल आए
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डॉ. गुलाम मुर्तजा शरीफ, पाकिस्तान

लो गयी दीपावली , मुबारक हो ,
दीप से दीप जले , रोशनी मुबारक हो !
मेरी दुआ है , भाई-चारा सलामत रहे ,
नई सुबह , नई किरण, मुबारक हो !
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जश्न--दिवाली
डा.अहमद अली बर्क़ी आज़मी, भारत

अपने घरों मे दिए जलाऐँ
जश्न--दिवाली मिल के मनाऐँ

बच्चे बूढे नर और नारी
अपना है जो फ़र्ज़ निभाऐँ

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
सब को बर्क़ी गले लगाऐँ
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सोहन 'राही', यू.के.

आँगन आँगन रूप धूप की उषा जैसी लाली है
दीपक दीपक जोत जले और जोत बड़ी मतवाली है
घर घर की चौखट पे रौशन दीपों की वो पाली है
भारत की सुन्दर धरती पर उतरी रात निराली है
पूनम की रातों पर भारी अपनी एक दिवाली है.
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आचार्य संजीव 'सलिल', भारत


तन माटी का दीप है, जलती बाती श्वास.
आत्मा उर्मिल वर्तिका, घृत अंतर की आस..

मन-मन्दिर में हो 'सलिल', निश-दिन धवल उजास.
पर सेवा की प्रसारित, जो तू करे सुवास.
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पंकज सुबीर, सीहोर, भारत

दीप के हौसलों की कहानी है ये
रात भर की भले जिंदगानी है ये
हर तरफ दीप हैं हर तरफ रोशनी
रात दीपावली की सुहानी है ये
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पंकज सुबीर, सीहोर, भारत

बधाई गाइये रघुवर अयोध्या लौट कर आये
सुमन अंबर से अगवानी में हैं देवों ने बरसाये
सजीं देहरी पे रांगोली, बंधे तोरण हैं द्वारे पर
अमावस हो गई पूनम हजारों दीप मुस्काये
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राकेश खंडेलवाल, यू.एस..

खील अक्षत लिये,,रंग गेरू घुले,अल्पनायें निरन्तर बनाते रहें
दीप मिल कर गले दीप से दीप्त हौं और बिखरे तिमिर को हटाते रहें
ॠद्धि के सिद्धि के साथ में लक्ष्मियाँ, पंथ भरती रहें स्वर्ण आभाओं से
कामना है यही आपके शीश पर सारे नक्षत्र जगमगाते रहें.
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समीर लालसमीर’, कनाडा

प्रीत का दीपक जलाना
दूर नफरत को भगाना
सच्चाई का हाथ थामकर
जीवन पथ पर चलते जाना...
अबकी आती दिवाली का
ऐसे ही तुम जश्न मनाना..
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नीरज गोस्वामी, भारत

"जला मन में बसा रावण, मनानी गर दिवाली है
दिलों से दूर कर अनबन, मनानी गर दिवाली है

धरा पर रौशनी करना दिवाली है कहा किसने ?
करो तुम सोच को रोशन, मनानी गर दिवाली है"
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मेजर गौतम राजरिशी, भारत

के रंजिश भूल जायें, दोस्ती की बात हो

जगमगाते दीप की रौशनी की बात हो

धूप के तेवर तो बढ़ते जा रहे हैं दिन--दिन

कुछ रहम धरती पे हो, अब कुछ नमी की बात हो

द्वेष से, टकराव से होता है क्या हासिल कहो

प्यार की बातें करो, दीवानगी की बात हो

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प्राण शर्मा, यू.के.

पथ की विपदाएं उससे क्या टकरायेंगीं

जिसकी गोदी में विपदाएं ख़ुद पलती हैं

उस घर में अंधियारा कैसे रह सकता है

जिस घर में दीपावलियाँ हर पल जलती हैं

केवल इक दीपक काफ़ी है अंधियारे में

तू क्यों ना अपने मन का दीप जलाता चल

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प्राण शर्मा, यू.के.
रौशनी हर तरफ ही लुटाते रहें

लौ से अपनी सभी को लुभाते रहें

हर किसी की तमन्ना है अब दोस्तो

दीप जलते रहें झिलमिलाते रहें.

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महावीर शर्मा, यू.के
कविता

दीवाली के शुभ अवसर पर दीप से दीप जलाते रहना
मन के गहरे अंधियारे में प्रेम का दीप जलाते रहना
नफ़रत का नारा दफ़ना कर ईद हो या हो फिर दीवाली
हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई प्रेम की ज्योत जलाते रहना
शान्ति-दूत के स्वप्नों की अभिलाषा पूरी करनी है
अस्तित्व न हो कोई दुःख का समता दीप जलाते रहना
शिशु हैं भावी की आशा बीच राह में भटक न जाएँ
दीपक का सन्देश सुना कर अंतर्ज्योति जलाते रहना
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अभिषेक

डॉ. महेंद्र भटनागर

माना अमावस की अँधेरी रात है,

पर, भीत होने की अरे क्या बात है ?

एक पल में लो अभी

जगमग नये आलोक के दीपक जलाता हूँ !

.

माना, अशोभन, प्रिय धरा का वेष है,

मन में पराजय की व्यथा ही शेष है,

पर,निमिष में लो अभी

अभिनव कला से फिर नयी दुलहिन सजाता हूँ !

.

कह दो अँधेरे से प्रभा का राज है,

हर दीप के सिर पर सुशोभित ताज है,

कुछ क्षणों में लो अभी

अभिषेक आयोजन दिशाओं में रचाता हूँ !

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'महावीर'

अगला अंक: २४ अक्टूबर 2009
यू.के. से उषा राजे सक्सेना की दो ग़ज़लें
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'मंथन
पर पंकज सुबीर की कहानी
'जब दीप जले आना'
अवश्य पढ़िये.
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17 comments:

Udan Tashtari said...

ये हुई न जी दिवाली की सही शुभकामनाएँ....

आनन्द आ गया...


सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल ’समीर’

seema gupta said...

झिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.."
regards

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लगे आप के यह दीप धन्यवाद
आप को ओर आप के परिवार को दिपावली की शुभकामनाये

vijay kumar sappatti said...

aadarniy mahaveer ji

namaskar

diwali par isse adhik jhilmilata uphaar kya honga..

itne saare kavi aur gazalkaar aur sab ka behatreen andaaz ..wah waah

maza aa gaya .. diwali ki khushi dugani ho gayi ...

aap sabhi ko dher saari badhai aur diwali ki shubkaamnaye..

aapka

vijay

पंकज सुबीर said...

अहा इसे कहते हैं असली दीपावली । इतने सारे दीप एक साथ । और दीप भी कैसे जिनमें कई सारे दीप तो ऐसे हैं जो सूरज की रोशनी को चुनौती देने में सक्षम हैं । दादा भाई नि:संदेह आपने काफी मेहनत की है इतने सारे क़लम के महारथियों को एक ही मंच पर जुटाने में । और बड़ी बात ये कि हर विधा है हर रंग है । दीपावली तो अपनी आज ही हो गई । आपको और पूरे परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं । आदरणीय भाभी मां को दीपावली की शुभकामनाएं मेरी तरफ से अवश्‍य दें । आशा है अब आपका स्‍वास्‍थ्‍य ठीक होगा ।

नीरज गोस्वामी said...

आदरणीय महावीर जी प्रणाम...अद्भुत महफिल सजाई है आपने इस दिवाली पर...गद गद हूँ...अनूठी रचनाएँ जो मन को अन्दर से रोशन कर दें सारी की सारी एक साथ एक जगह पर...वाह...लाजवाब....
आप आपके परिवार समस्त कवियों शायरों और पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

नीरज

Unknown said...

धन्य कर दिया आपने

आनन्द आ गया.........

बहुत ही उम्दा........

अभिनन्दन !


आपको और आपके परिवारजन को
दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयां
एवं मंगल कामनायें.......

रश्मि प्रभा... said...

कुछ दीये खरीदने हैं,
कामनाओं की वर्तिका जलानी है .....
स्नेहिल पदचिन्ह बनाने हैं
लक्ष्मी और गणेश का आह्वान करना है
उलूक ध्वनि से कण-कण को मुखरित करना है
दुआओं की आतिशबाजी ,
मीठे वचन की मिठास से
अतिथियों का स्वागत करना है
और कहना है
जीवन में उजाले - ही-उजाले हों

कडुवासच said...

"आओ मिल कर फूल खिलाएं, रंग सजाएं आँगन में

दीवाली के पावन में , एक दीप जलाएं आंगन में "

......दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ |

PRAN SHARMA said...

DEEWALEE KE MAHAPARV PAR MAHAVIR JI
KE BLOG PAR MAHAKAVI NARENDRA
SHARMA,PANKAJ SUBEER,AHMAD ALI
BARQEE AAZMEE,GULAAM MURTAZA SHREEF
USHA RAJE SAKSENA,SUDHAOM DHINGRA,
LAVANYA SHAH,DEVI NAANGRANI,SOHAN
RAHI,AACHAARYA SANJEEV SALIL,RAKESH
KHANDELWAAL,SAMEER LAL SAMEER ,
GAUTAM RAJRISHI,NEERAJ GOSWAMI,
PRAN SHARMA AUR MAHAVIR SHARMA JAESE AALAA KAVIYON /SHAAYRON KEE
MUN KO LUBHAATEE -RIJHAATEE KAVYA-
PANKTIYAN BHAICHAARE KA SHUBH
SANDESH DE RAHEE HAIN.
DEWAALEE PREM KE ATOOT RESHMEE
DHAAGE MEIN SABHEE KO BAANDHTEE HAI
BKAUL AHMAD ALI BARQEE AAZMEE--
HAI ZROORAT WAQT KEE
AAPAS MEIN RAKHIYE MEL-JOL
BHAI CHAARAA DEKH KAR
SAB AAPKAA RAH JAAYEN DANG
DEEWAALEE SABKO MUBAARAK HO

Ahmad Ali Barqi Azmi said...

भर दे दिल मेँ यह दिवाली आपके ख़ुशियोँ के रंग : डा. अहमद अली बर्की आज़मी

भर दे दिल मेँ यह दिवाली आपके ख़ुशियोँ के रंग
आपके इस रंग मेँ पडने न पाए कोई भंग

जो जहाँ हो उसको हासिल हो वहाँ ज़ेहनी सुकून
दूर हो जाए जहाँ से बुगज़, नफरत और जंग

अपने दिल को साफ रखिए आप मिसले आइना
आपकी शमशीरे ईमाँ पर न लगने पाए ज़ंग

है ज़रूररत वक्त की आपस में रखिए मेल जोल
भाइचारा देख कर सब आपका रह जाएँ दंग
आइए आपस मेँ मिल कर यह प्रतिज्ञा हम करेँ

रंग मे अपनी दिवाली के न पडने देँगे भंग
महफ़िले शेरो सुख़न मेँ जश्न का माहौल है

कीजिए नग़मा सराई आप बर्क़ी लेके चंग
डा. अहमद अली बर्की आज़मी

Meenu Khare said...

अच्छी रचनाएँ.

अप्प दीपो भव!
इस साल ओबामा ने दीपावली मनाई, आगे से हर देश प्रकाश पर्व मनाए.

हार्दिक शुभकामनाएँ.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आ. महावीर जी तथा दीपावली पर उपस्थित गणमान्य साहित्यकार व साथीगण,
आप सभी को पुन: दीपावली पर नमन तथा मंगल कामनाएं प्रेषित करते अपार हर्ष है
खूब जगमगा रही है दीपावली - आपसी मित्रता की यह ज्योति , भेदभाव शत्रुता तथा
कटुता का कालिख मिटाकर , वास्तव में , प्रकाश फैलाए यही कामना है -
पूज्य पापा जी की इस कविता का एक शब्द कृपया यूं पढें --
दीपक ( अप्रकाशित )
" दीपक दीपक , जले अँधेरा
काजल बन कर पले अँधेरा
निगले उगले , जिसको दीपक

है दीपक के टेल अँधेरा " -- X
है दीपक के तले अँधेरा

सभी की रचनाएं बहुत पसंद आयीं - बधाई --
और मुझे खुशी हुई के आपको ,
मेरी भेजी कवितायेँ पसंद आयीं
विनीत,
- लावण्या

संगीता पुरी said...

दीपावली के शुभ अवसर पर महान साहित्‍यकारों और उनकी पंक्तियों का एक स्‍थान पर उल्‍लेख अच्‍छा लगा !!
पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!

बाल भवन जबलपुर said...

दीप की स्वर्णिम आभा
आपके भाग्य की और कर्म
की द्विआभा.....
युग की सफ़लता की
त्रिवेणी
आपके जीवन से आरम्भ हो
मंगल कामना के साथ

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

श्रेष्ठ रचनाकारों की सुंदर कृतियां खासकर लावण्या दीदी, महावीरजी, निरजजी को तो फैन हू मेरे लिऍ आज इनकी कृतियो को पढना सोने मे सुहागा जैसा है। डबल दिवाली है जी इन सभी श्रेष्ठ एवम जेष्ठो का सगम पाकर
आभार

सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !

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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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ताऊ किसी दूसरे पर तोहमत नही लगाता-
रामपुरियाजी
हमारे सहवर्ती हिन्दी ब्लोग पर
मुम्बई-टाईगर
ताऊ की भुमिका का बेखुबी से निर्वाह कर रहे श्री पी.सी.रामपुरिया जी (मुदगल)
जो किसी परिचय के मोहताज नही हैं,
ने हमको एक छोटी सी बातचीत का समय दिया।
दिपावली के शुभ अवसर पर आपको भी ताऊ से रुबरू करवाते हैं।
पढना ना भूले। आज सुबह 4 बजे.
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
हेपी दिवाली मना रहा हू ताऊ के संग
ताऊ किसी दूसरे पर तोहमत नही लगाता-
रामपुरियाजी

द फोटू गैलेरी
महाप्रेम
माई ब्लोग
मै तो चला टाइगर भैया के वहा, ताऊजी के संग मनाने दिवाली- संपत

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

दीपोत्सव तो भीतर के उल्लास को व्यक्त करने का बहाना है। दीप यदि अंतर में है तो प्रकाश तो छलकेगा ही।

आप को और सभी सुहृदों को प्रकाशपर्व की शुभकामनाएँ।


गिरिजेश