Wednesday 16 November 2011


आज १७ नवम्बर है, यानी आदरणीय महावीर शर्मा जी की प्रथम पुण्यतिथि. पिछले वर्ष आज ही के दिन इस ब्लॉग एवं 'मंथन' ब्लॉग के निर्माता द्वय में से एक श्री महावीर जी इस पृथ्वी लोक को छोड़ अनंत का हिस्सा बन गए थे. देखते ही देखते एक साल हो गया लेकिन आज भी उनकी आवाज़ कानों में गूंजती है. वैसे तो हम सभी साहित्य रसिकों के लिए यह दिन शोक का दिन है, लेकिन साथ ही इसी बहाने हम महावीर जी की अपने दिलों में बसी मीठी यादों को ताज़ा करके देखते हैं. चलिए देखते हैं आँख बंद करके... चलिए एक बार फिर महसूस करते हैं उस स्नेहमयी आवाज़ को, उस स्पर्श को उस दुलार को जो हम हमेशा से हिन्दी साहित्य के इन संत से पाते रहे हैं. ओह्ह मैं खुशखबरी देना तो भूल ही गया, वैसे आप में से अधिकांश मित्रों को यह पहले से ही पता होगी लेकिन जिन्हें नहीं मालूम उन्हें बताता चलूँ कि

हमारे प्रिय आदरणीय श्री महावीर जी को मरणोपरांत मार्च २०११ में उनकी पत्रकारिता के क्षेत्र में उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए हाईकमीशन लन्दन ने हज़ारी प्रसाद द्विवेदी सम्मान प्रदान कर इस सम्मान के गौरव में वृद्धि की. सम्मान को महावीर जी के सुपुत्र श्री राज शर्मा ने ग्रहण किया.


सबसे पहले लीजिये आपके लिए हाज़िर है श्री महावीर जी की एक महकती हुई, बेहतरीन ग़ज़ल

कुछ अधूरी हसरतें अश्के-रवाँ में बह गये

क्या कहें इस दिल की हालत, शिद्दते-ग़म सह गये।

गुफ़तगू में फूल झड़ते थे किसी के होंठ से

याद उनकी ख़ार बन, दिल में चुभो के रह गये।

जब मिले हम से कभी, इक अजनबी की ही तरह

पर निगाहों से मेरे दिल की कहानी कह गये।

यूँ तो तेरा हर लम्हा यादों के नग़मे बन गये

वो ही नग़मे घुट के सोज़ो-साज़ दिल में रह गये।

दिल के आईने में उसका, सिर्फ़ उसका अक्स था

शीशा-ए-दिल तोड़ डाला, ये सितम भी सह गये।

दो क़दम ही दूर थे, मंज़िल को जाने क्या हुआ

फ़ासले बढ़ते गए, नक़्शे-क़दम ही रह गये।

ख़्वाब में दीदार हो जाता तेरी तस्वीर का

नींद अब आती नहीं, ख़्वाबी-महल भी ढह गये।

दादामुनि महावीर जी के चले जाने से स्तब्ध और दु:खी ख्यातिलब्ध साहित्यकार श्री पंकज सुबीर जी ने अपने भावों को ग़ज़ल के रूप में सहेजा था.. आप भी उस ग़ज़ल को पढ़ियेगा-

सितारा टूट गया कोई जगमगाता हुआ

चराग़ बुझ गया कोई है झिलमिलाता हुआ*

दरख्‍़त कल वो हवाओं में गिर गया आखि़र

खड़ा हुआ था घनी छांव जो लुटाता हुआ

हज़ार ग़म थे, मुश्किलें थीं, परेशानी थीं

मगर मिला वो हमेशा ही मुस्‍कुराता हुआ

पकड़ के हाथ वो चलना उसे सिखाता था

कोई जो राह में मिलता था डगमगाता हुआ

अजीब जि़द थी, बला का था हौसला उसमें

मिला वो मौत से पंजा ही बस लड़ाता हुआ

'मिलेंगे हश्र में फिर हम जो आज बिछड़ेंगे'

चला गया वो यही गीत गुनगुनाता हुआ

'सुबीर' उसको 'महावीर' नाम क्‍यूं न मिले

जिया जो ज्ञान की गंगा सदा बहाता हुआ


मेरा विचार है यह पूरा सप्ताह श्री महावीर जी को याद करते हुए उनकी खुद की कलम से निकली रचनाओं को प्रकाशित कर और उनसे सम्बंधित संस्मरणों के द्वारा उन्हें अपने स्मृति मंदिर में फिर सजा कर मनाया जाए.. आपका क्या ख्याल है?

यदि सहमत हों तो महावीर जी से सम्बंधित अपने-अपने व्यक्तिगत संस्मरण या तो अपने ब्लॉग पर लगाएं या मुझे mahavir.sharma5@googlemail.com या mashal.com@gmail पर प्रेषित करके साहित्य सरोवर के मानस हंस श्री महावीर जी को श्रद्धांजली देवें.


15 comments:

Astrologer Sidharth said...

विनम्र श्रद्धांजलि...

प्रवीण पाण्डेय said...

सुन्दर रचनायें, विनम्र श्रद्धांजलि।

अजित वडनेरकर said...

बहुत सुंदर

दिगम्बर नासवा said...

विनम्र श्रद्धांजलि। ....

"अर्श" said...

विनम्र श्रद्धांजलि।

इस्मत ज़ैदी said...

vinamr shraddhanjali !

नुक्‍कड़ said...

विनम्र श्रद्धांजलि। मन में बसेरा है महावीर जी के विचारों और डेरा है शब्‍द-उपहारों का।

PRAN SHARMA said...

MAHAVIR SHARMA JI KAA HUM SABSE
JUDAA HONA MANON MEIN ABHAAV BHAR
GAYAA HAI . JAESA UNKAA KRITITV
THAA VAESA HEE VYAKTITV THA . VE
SABKE LIYE SANT SAMAAN THE . SAB
KEE BHALAAEE KE BARE MEIN SOCHTE
THE VE . AESA MAHAAN PURUSH SADAA
YAAD RAHTA HAI . UNSE PREM-VARTALAAP KARTE HUE KITNAA ACHCHHAA
LAGTAA THA -

VO IK SHAKHS KI JIKEE BHARPAAEE
MUSHKIL HAI
DUNIYA KITNEE SUNDAR USKE JEETE -
JEE THEE

UNHEN VINAMR SHRDDHANJLEE .

Udan Tashtari said...

विनम्र श्रद्धांजलि....

Dr. Sudha Om Dhingra said...

विनम्र श्रद्धांजलि।

neera said...

महावीर जी ऐसे लोगों में से थे जो अनुजों का हाथ पकड़ मंच ले जाते हैं खुद को पीछे औरों को आगे देख्ना चाहते हैं उनके जाने के बाद ब्रितेनिया में रहने वाले हिन्दी लेखक और कवि अनाथ हो गए हैं .. उनको नमन श्रद्धांजलि ...

दीपक 'मशाल' said...

नीरा जी, आपसे अक्षरशः सहमत हूँ..

PRAN SHARMA said...

CHARCHIT LEKHIKA USHA RAJE SAXENA
BHARAT SE SANDESH BHEJTEE HAIN -

MAHAVIR SHARMA JI KO VINAMR
SHRDDHANJLI .

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

जाने वालों के ग़म में बस , चाहने वाले जलते हैं !
वरना सारी दुनिया भर के काम तो यूं ही चलते हैं !


ब्रह्मलीन स्मृतिशेष महावीर जी को विनम्र श्रद्धांजलि !



- राजेन्द्र स्वर्णकार

श्रद्धा जैन said...

महावीर जी को विनम्र श्रद्धांजलि