Sunday, 8 January 2012


इस वर्ष की यह प्रथम पोस्ट है इसलिए सबसे पहले आप सबको HAPPY NEW YEAR 2012...
मुंबई से भाई नवीन चतुर्वेदी की हरदिलअज़ीज़ गज़लें आपने पहले भी कई जगह पढ़ी होंगीं और यह महसूस भी किया होगा कि ऐसे ध्वजवाहकों के रहते ही ग़ज़ल लेखन की परंपरा हिन्दुस्तान की उम्र के बराबर बनी रहेगी. उनकी ग़ज़ल पढ़कर जरूर आप 'वाह सा'ब वाह' कर उठेंगे.. इरशाद भी कहेंगे और फिर ख़ुद ही दोबारा पढेंगे भी.. :)

कनाडा से प्रकाशित होने वाली शिखर हिन्दी प्रवासी पत्रिका हिन्दी-चेतना का इस बार का अंक इन्द्रधनुषी रंग बिखेर रहा है.. तो सोचा कि उसका लिंक आपको भी थमाता चलूँ-
पुस्तक रूप में पढ़ने के लिए लिंक- http://issuu.com/hindichetna/docs/jan_march_2012
पत्रिका की मुख्य वेबसाईट का लिंक- http://hindi-chetna.blogspot.com/2012/01/blog-post_02.html

एक और बात... ९ जनवरी से २१ फरवरी २०१२ तक भारत प्रवास पर रहूँगा अतैव संभव है कि रचनाओं का प्रकाशन बाधित हो.. फिर भी जहाँ भी इंटरनेट कनेक्शन मिला वहां कारवाँ आगे बढाने में देरी नहीं लगाऊंगा..

शरबती, मखमली हो गई है

ये ग़ज़ल आप सी हो गई है


इस क़दर है घुटन ज़िंदगी में

शायरी लाज़िमी हो गई है


गुफ़्तेगू खेत चौपाल वाली

आज पी. एच. डी. हो गई है


ग़ालिबन कुछ अमीरों की ख़ातिर

मुफ़लिसी - लॉटरी हो गई है


कोई अवतार आने को है क्या

रोशनी-रोशनी हो गई है


चींटियां घुस रही हैं बिलों में

कुछ - कहीं, खलबली हो गई है


अब चुनौती से लगता नहीं डर

नस्ल ये, हिम्मती हो गई है

नवीन चतुर्वेदी


प्रस्तुतकर्ता- दीपक मशाल

8 comments:

neeraj tripathi said...

महावीर ब्लॉग पे रचना देखकर हार्दिक खुशी हुई।
एक बहुत अच्छी गजल के साथ शुरुआत है नए साल की,
शरबती, मखमली हो गई है।

ये ग़ज़ल आप सी हो गई है।१।

इस क़दर है घुटन ज़िंदगी में।

शायरी लाज़िमी हो गई है।२।

बहुत बढ़िया मजा आ गया :)

Prakash Badal said...

गुफ़्तेगू खेत चौपाल वाली।
आज पी. एच. डी. हो गई है|

ग़ज़ल में जिस आधुनिक मुहावरे की तलाश है, वो झलक कुछ शेर दे रहे हैं, बह्तु खूब,आप इसी तरह लिखते रहें, और भी पढ़ना चाहूँगा
। ऊपर लिखे आपके शेर से मेरे एक प्रिय ग़ज़लकार शाहिद अंजुम की कुछ पंक्तियाँ याद आ गई आपसे साझा करना चाहता हूँ।
"तालाब गुमशुदा है कुआं भी नहीं रहा
अपनी मुहब्बतों का निशाँ भी नहीं रहा

महंगा बहुत पड़ा है बुलंदी का यह सफर
पहले में जिस जगह था वहां भी नहीं रहा"
वाह ! भाई नवीन चतुर्वेदी को मेरी बधाई भेजिएगा।

vandana gupta said...

बहुत शानदार प्रस्तुतिकरण्।

PRAN SHARMA said...

NAVEEN JI KI GAZAL PAR ACHCHHEE
PAKAD . IS ACHCHHEE GAZAL KE LIYE
UNHEN BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .

प्रवीण पाण्डेय said...

वाह, गजल पढ़कर आनन्द आ गया।

Anonymous said...

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